पहली बार मां बनना खुद और पूरे परिवार के लिए बहुत खुशी का पल होता है। इस दुनिया में एक नई ज़िंदगी को लाना और अपने गर्भ में छोटी सी जान को पालने के अहसास को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। कई महिलाओं को ये जानने की उत्सुकता होती है कि उनका शिशु गर्भ में क्या करता है और इसीलिए आज इस पोस्ट के ज़रिए हम आपको बताने वाले हैं कि गर्भ के अंदर शिशु क्या करता है। विशेषज्ञों की मानें तो शिशु ना केवल उंगलियों, पैर और अंगों को चलाना सीखता है बल्कि वो सपने भी देखता है और जम्हाई भी लेता है, अंगूठा भी चूसता है और ऐसी कई सारी चीज़ें करता है जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगें।
अगर आप अल्ट्रासाउंड के दौरान करीब से देखें तो आप गर्भ के अंदर अपने नन्हे से शिशु को देख सकते हैं। कई बार भ्रूण लगतार घूमता रहता है और पेट में लात भी मारता है। विशेषज्ञों का कहना है कि भ्रूण जम्हाई लेने और किक मारने से ज़्यादा भी गर्भ के अंदर हरकतें करता है। अगर आप पहली बार मां बनने जा रही हैं तो जान लीजिए कि गर्भ के अंदर आपका शिशु क्या कुछ करता है। ये जानकर आपका दिल टूट सकता है लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो अल्स्ट्रासाउंड से ये बात सामने आई है कि शिशु गर्भ के अंदर भी रोते हैं।
गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान ही शिशु हिचकियां लेना शुरु कर देता है। आपको इसका अहसास नहीं होता लेकिन गर्भावस्था के अंतिम चरण तक आपको भी ये पता चलने लगता है। अगर आप ध्यान दें तो कई बार आप अपने गर्भ में शिशु की हिचकियों को महसूस कर सकती हैं। गर्भावस्था के 26वें हफ्ते में शिशु कई चीज़ों पर अपनी प्रतिक्रिया देने लगता है। इस दौरान बच्चा मुस्कुराता भी है। गर्भ के अंदर शिशु जम्हाई भी लेता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भ के अंदर बच्चा सबसे ज़्यादा सोता है और जब वो गर्भ के अंदर मूव करता है तो थक जाता है और उसे जम्हाई आने लगती है।

जी हां, शिशु गर्भ के अंदर मूत्र यानि पेशाब भी करता है। पहली तिमाही के अंत में शिशु पेशाब करना शुरु कर देता है। गर्भावस्था के 28वें हफ्ते में शिशु गर्भ के अंदर आंखे खोलने लगता है। वो तेज़ रोशनी पर प्रतिक्रिया भी देने लगता है लेकिन इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि इससे शिशु बाहरी दुनिया की जानकारी लेता है। मां जो कुछ भी खाती है वो शिशु को जाता है और एमनिओटिक फ्लूइड के ज़रिए बच्चा इसके फ्लेवर का स्वाद चखता है। विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि 15वें हफ्ते में भ्रूण को मीठे का स्वाद पसंद आने लगता है और जब मीठा होता है तो शिशु ज़्यादा फ्लूइड लेता है।