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बिहार की मतदाता सूची से हट जाएंगे 35 लाख नाम, आयोग के नए अपडेट से मचेगा बवाल

पटना 

चुनाव आयोग ने सोमवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को लेकर एक बड़ा अपडेट जारी किया है। आयोग ने बताया है कि लगभग सभी मतदाताओं के साथ सीधा संपर्क स्थापित कर उनके पास गणना-फार्म EF पहुंचाया जा चुका है और लगभग 88.66 प्रतिशत मतदाता अपने गणना फॉर्म जमा कर चुके हैं। चुनाव आयोग के नए अपडेट के बाद अब इस प्रक्रिया को लेकर विवाद और भड़क सकता है। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक, इस प्रक्रिया के बाद बिहार की मतदाता सूची से 35 लाख से ज्यादा वोटर्स का नाम सूची से बाहर हो सकता है।

चुनाव आयोग के मुताबिक BLO द्वारा घर-घर जाकर दो दौर के दौरे के बाद बिहार में अब तक 6.6 करोड़ मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं। यह राज्य के कुल मतदाताओं का 88.18 फीसदी हिस्सा है। आयोग के मुताबिक मतदाताओं के पास अपने फॉर्म जमा करने के लिए 25 जुलाई तक का समय है, जिसके बाद मतदाता सूची जारी की जाएगी।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक जमा किए गए फॉर्म में 1.59 प्रतिशत मतदाता, यानी 12.5 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी लेकिन उनके नाम सूची में बने हुए हैं। वहीं अन्य 2.2 प्रतिशत, यानी 17.5 लाख मतदाता, स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए हैं और अब राज्य में मतदान करने के योग्य नहीं हैं। इसके आंवला 0.73 प्रतिशत, यानी लगभग 5.5 लाख वोटर्स दो बार पंजीकृत पाए गए हैं। इन डेटा के विश्लेषण से ऐसे संकेत मिलते हैं कि लगभग 35.5 लाख मौजूदा मतदाताओं के नाम बिहार की मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे।

इससे पहले चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि पंजीकरण की प्रकिया के दौरान नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के कुछ विदेशी नागरिकों के नाम भी मतदाता सूची में पाए गए हैं। इसके बाद कई और मतदाताओं के नाम सूची से हटने के आसार हैं। गौरतलब है कि इस मामले से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला विचाराधीन है। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने चुनाव आयोग को मतदाताओं के सत्यापन के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र का उपयोग भी करने की सलाह दी थी। कोर्ट में इस मामले पर 28 जुलाई को अगली सुनवाई होगी।

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