राष्ट्रीय

भीषण गर्मी की चपेट में आएंगे भारत के 60 करोड़ लोग, वैज्ञानिकों ने स्टडी में किया चौंकाने वाला खुलासा

गर्मी को लेकर एक नई स्टडी सामने आई है. इसमें पूरी दुनिया को बढ़ते तापमान को लेकर चेतावनी दी गई है. इस स्टडी में कहा गया है कि कि यदि दुनिया के सभी देश यदि उत्सर्जन कटौती के अपने वादे को पूरा नहीं करेंगे तो दुनिया की बड़ी आबादी खतरे में आ जाएगी. भारत के लिए ये स्टडी और भी डराने वाली है क्योंकि तापमान में बढ़ोतरी होने से भारत के 60 करोड़ लोग इसकी चपेट में आएंगे. इस समय पूरी दुनिया क्लाइमेट चेंज के संकट से गुजर रही है इससे ग्लोबल वार्मिंग में लगातार तेजी आ रही है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक सदी के अंत यानि 2080-2100 तक धरती के तापमान में 2.7 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी, जिसका मौसमी घटनाओं पर भी गहरा असर होगा. तापमान बढ़ने से भीषण लू, चक्रवात और बाढ़ जैसी आपदाओं का पूरी दुनिया को सामना करना होगा. इस वजह से ग्लोबल लेवल पर समुद्र के जल स्तर में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होगी.

भारत पर भीषण गर्मी का सबसे ज्यादा असर

रिसर्च में ये बात सामने आई कि 2.7 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने पर भारत की सबसे ज्यादा आबादी इसकी चपेट में आएगी. ये स्टडी एक्सेटर यूनिवर्सिटी के ग्लोबल सिस्टम इंस्टीट्यूट ने अर्थ कमीशन और नानजिंग यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर की है. इस स्टडी में जो निष्कर्ष निकलकर सामने आए वो जर्नल नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित हुए हैं. स्टडी बताती है कि भारत के बाद नाइजीरिया दूसरा देश होगा, जिसकी आबादी 2.7 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने पर सबसे ज्यादा चपेट में आएगा. यहां 30 करोड़ लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा.

6 करोड़ लोग कर रहे हैं लू का सामना

इस स्टडी में ये अनुमान भी लगाया गया है कि यदि तापमान की बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर दिया जाता है तो भारत में 9 करोड़ लोग इसकी चपेट में आएंगे. वहीं नाइजारिया में ये 4 करोड़ लोग खतरे में होंगे. वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल स्तर पर तापमान पहले ही एक डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है.

इसकी वजह से दुनिया के 6 करोड़ लोग लू का सामना कर रहे हैं. ये उन जगहों के लोग जहां का औसत तापमान 29 डिग्री सेल्सियस है या इससे ऊपर जा चुका है. इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने सबसे बुरे हालात का भी जिक्र किया है, जिसके मुताबिक यदि ग्लोबल स्तर पर तापमान में 3.6 डिग्री सेल्सियस से 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी तो दुनिया की आधी आबादी इसकी चपेट में आएगी.

WMO पहले ही दे चुका है चेतावनी

तापमान में बढ़ोतरी को लेकर विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) पहले ही चेतावनी दे चुका है. उसका अनुमान है कि आने वाले 5 सालों में किसी एक साल दुनिया का औसत तापमान 1.5 डिग्री से अधिक होगा. उसने ग्लोबल वार्मिंग को इसके लिए जिम्मेदार बताया है. बता दें कि इस साल अल नीनो की वजह से भी तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी, जो ला-नीना के तीन साल बाद वापसी कर रहा है.

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