आईपीएल में खरीदे जाने के बाद अपना नाम वापस लेने पर विदेशी खिलाड़ियों पर लगेगा 2 साल का प्रतिबंध
बेंगलुरु.
अगर कोई विदेशी खिलाड़ी आईपीएल की नीलामी में ख़रीदे जाने के बाद बिना किसी ठोस वजह के ख़ुद को आईपीएल के किसी सीज़न के लिए अनुपलब्ध बताता है तो ऐसे खिलाड़ी पर दो साल का प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसके इतर छोटी नीलामी में विदेशी खिलाड़ी का प्राइस टैग सबसे ज़्यादा रिटेंशन प्राइस (18 करोड़) या बड़ी नीलामी की सबसे बड़ी बोली से अधिक नहीं होगा। जैसा कि अगस्त में ईएसपीएनक्रिकइंफो ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि आईपीएल की सभी फ्रेंचाइजी ने जुलाई में आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के समक्ष यह मांग रखी थी कि नीलामी में ख़रीदे जाने के बाद ख़ुद को अनुपलब्ध करने वाले खिलाड़ियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
रिटेंशन नियमों को साझा करते हुए आईपीएल ने कहा, “कोई भी खिलाड़ी जो नीलामी के लिए ख़ुद को पंजीकृत करता है और नीलामी में ख़रीदे जाने के बाद वह सीज़न की शुरुआत से पहले ख़ुद को अनुपलब्ध बता देता है तब उसे अगले दो सीज़न के लिए आईपीएल खेलने या आईपीएल नीलामी में हिस्सा लेने से रोक दिया जाएगा।” हालांकि अगर खिलाड़ी चिकित्सीय या चोट के कारणों से अनुपलब्ध रहता है तो ऐसी स्थिति में कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी लेकिन इस संबंध में खिलाड़ी के होम बोर्ड से भी पुष्टि की जाएगी।
छोटी नीलामी में विदेशी खिलाड़ियों के लिए अधिकतम फ़ीस
आईपीएल ने फ्रेंचाइजी के इस प्रस्ताव को भी स्वीकारा है कि विदेशी खिलाड़ियों का बड़ी नीलामी में पंजीकरण अनिवार्य होगा। फ्रेंचाइजी ने यह तर्क दिया था कि इससे खिलाड़ी सिर्फ़ बड़ी धनराशि पाने की लालच से छोटी नीलामी में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। छोटी नीलामी में टीमें अमूमन कुछ ख़ास खिलाड़ियों पर बड़ा दांव खेलती हैं।
इसकी एक बानगी 2024 सीज़न की नीलामी में भी देखने को मिली थी जब कोलकाता नाइट राइडर्स और सनराइज़र्स हैदराबाद ने क्रमशः मिचेल स्टार्क और पैट कमिंस के लिए बड़ी बोली लगाई थी। कमिंस को 20.50 करोड़ जबकि स्टार्क को 24.75 करोड़ रुपये में ख़रीदा गया था। इस स्थिति को दोहराने से रोकने के लिया आईपीएल ने दो तरह की रणनीति अपनाई है। पहला तो यह कि अगर किसी विदेशी खिलाड़ी ने बड़ी नीलामी में ख़ुद को पंजीकृत नहीं किया है तब उसे छोटी नीलामी में हिस्सा नहीं लेने दिया जाएगा।
“विदेशी खिलाड़ी को बड़ी नीलामी के लिए ख़ुद को पंजीकृत करना होगा। अगर खिलाड़ी ऐसा नहीं करता है तो उसे अगली छोटी नीलामी में हिस्सा लेने से वंचित रहना पड़ेगा। इस मामले में सिर्फ़ चोट या चिकित्सीय स्थिति को अपवाद माना जाएगा जिसकी पुष्टि खिलाड़ी के होम बोर्ड से की जाएगी।” आईपीएल ने छोटी नीलामी में विदेशी खिलाड़ी के लिए अधिकतम फ़ीस का प्रावधान भी लागू करने का निर्णय लिया है।
“किसी विदेशी खिलाड़ी की छोटी नीलामी की फ़ीस अधिकतम रिटेंशन प्राइस (18 करोड़) या बड़ी नीलामी में लगाई गई अधिकतम बोली से कम होगी। अगर बड़ी नीलामी में सबसे बड़ी बोली 20 करोड़ की लगती है तब कैप (छोटी नीलामी में विदेशी खिलाड़ी की अधिकतम फ़ीस) 18 करोड़ होगा। अगर बड़ी नीलामी में अधिकतम बोली 16 करोड़ की लगती है तब यह कैप 16 करोड़ का होगा।” मतलब अगर बड़ी नीलामी में अधिकतम बोली अधिकतम रिटेंशन प्राइस से अधिक रहती है तब ऐसी स्थिति में छोटी नीलामी में विदेशी खिलाड़ी की अधिकतम फ़ीस, अधिकतम रिटेंशन प्राइस (18 करोड़) ही होगी।