सेहत और स्वास्थ्य

बर्निंग माउथ सिंड्रोम से प्रभावित हो सकते हैं स्वाद कलिकाएं, सूखा रहता है मुंह; जानें इस बीमारी का इलाज

अगर आपके मुंह में बार-बार जलन जैसा महसूस होता है और वह भी बिना किसी कारण के, तो जरूर आप बर्निंग माउथ सिंड्रोम के शिकार हैं। इस स्थिति में आपको आपकी जीभ, मसूड़े, मूस, गॉल का निचला हिस्सा, मुंह का ऊपर वाला हिस्सा जलता हुआ महसूस होता है।

यह काफी गंभीर भी हो सकता है और आपको काफी दर्द और दर्द भी महसूस हो सकता है। इसमें आपको ऐसा महसूस होता है मानो खुद की जीभ को ज्यादा गर्म दूध पीकर जला लिया हो। यह सिंड्रोम स्पष्ट रूप से होता है लेकिन इसके लक्षण समय के साथ-साथ बढ़ते जा रहे हैं।

इसका कारण पता नहीं चल पाया है। इस दस्तावेज़ को जान कर आप अपने डॉक्टर की मदद से अपने मुँह की सेहत को बिल्कुल अच्छा रख सकते हैं। आइए जानें इस सिंड्रोम से जुड़ी जानकारी के बारे में।

लक्षण इसका सबसे मुख्य लक्षण मुंह के अलग अलग वर्गीकरण में जलन महसूस होना ही है। आपको अपनी जीभ, मसूड़ों और गले में जलन जैसा महसूस हो सकता है।
आपके पास हमेशा के लिए अपना ग्लास सूखा हुआ प्लेस और अधिकांश लीज प्लेसमेंट होगा।
आपके मुँह का स्वाद बदल जायेगा।
आपको मुंह में चॉकलेटपन महसूस होगा।
आपके स्वाद की क्षमता काफी हद तक चली जाएगी।
मुँह में गुदगुदाहट या सुन्नपन महसूस होना।

डॉक्टर को कब जाना चाहिए?

जब भी आपको लगे कि आपके लक्षण ठीक हो रहे हैं, तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। अगर आपका खाना बनाना भी मुश्किल हो जाए और लेवल की बढ़ोतरी लगे तो डॉक्टर के पास जाकर अपना इलाज जरूर करवा लें।

इसका मुख्य कारण तो अभी तक ठीक से पता नहीं चल पाया है लेकिन कुछ विशेषताएँ स्वाद और दर्द से जुड़ी हुई हैं। इसमें कई सी चीजें शामिल होती हैं जैसे अगर आपको डायरिया मुंह की समस्या है तो आपको यह सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है। अगर आपको किसी अन्य प्रकार का मौखिक संक्रमण या सूजन है तो यह भी इसका कारण हो सकता है। कई बार आवश्यक रासायनिक ज़रूरतें पूरी तरह से न हो पाना भी बर्निंग सिंड्रोम का कारण होता है। कुछ खाने से हमें एलर्जी होती है इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थ यदि स्थायी नहीं हैं तो मुंह में जलन हो सकती है।

महिलाओं में इस सिंड्रोम का जोखिम कारक पुरुषों में अधिकतर होता है और रजोनिवृत्ति के लक्षण पहले या बाद में शुरू होते हैं, आपको यह सिंड्रोम देखने को मिल सकता है। 50 वर्ष की आयु के बाद यह सिंड्रोम अधिक होने के जोखिम होते हैं। जो लोग धूम्रपान अधिक करते हैं उन्हें भी यह सिंड्रोम अधिक होने का खतरा रहता है।

इलाज आपके डॉक्टर आपके इंजेक्शन की चपेट में देख कर अलग-अलग इलाज के प्लेसमेंट दे सकते हैं। इसके इलाज में लार उत्पाद, ओरल रिंस, अल्फा एसिड एसिड आदि शामिल हैं। कुछ एंटी-डिप्रेसेंट या चॉकलेट का सेवन करने से आप इस स्थिति में काफी हद तक आराम पा सकते हैं। आप कुछ लाइफस्टाइल में बदलाव और होम रेमेडीज का प्रयोग करके भी कुछ हद तक आराम पा सकते हैं। इस स्थिति में शराब और तंबाकू का सेवन बिल्कुल छोड़ दें।

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