‘कृत्रिम सूर्य’ से पहली बार बिजली बनाने की तैयारी, अमेरिका में 2030 तक ग्रिड से जोड़ने का प्लान, समझें
वॉशिंगटन
दुनिया के कई देश आज के समय 'नकली सूर्य' बनाने में लगे हैं। अगर सब ठीक योजना के अनुसार हुआ तो वर्जीनिया 2030 के शुरुआती दशक तक दुनिया का पहला ग्रिड-स्केल न्यूक्लियर फ्यूजन पावर प्लांट स्थापित करेगा। यह संयंत्र भविष्य की स्वच्छ ऊर्जा को उपयोग में लाकर बिजली उत्पादन करेगा। मंगलवार को स्टार्टअप कॉमनवेल्थ फ्यूजन सिस्टम्स (CFS) ने इसकी घोषणा की। CFS सबसे बड़ी और सबसे चर्चित न्यूक्लियर फ्यूजन कंपनियों में से एक है। यह एक फैसिलिटी बनाने में अरबों डॉलर का निवेश करेगी।
चालू होने पर प्लांट ग्रिड के साथ जोड़ने में सक्षम होगा और 400 मेगावाट का उत्पादन करेगा। कंपनी के सीईओ बॉब मुमगार्ड के मुताबिक यह लगभग 150,000 घरों को बिजली देने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा, 'यह पहली बार होगा जब दुनिया में ग्रिड पैमाने पर फ्यूजन पावर उपलब्ध कराई जाएगी।' वर्जीनिया के गवर्नर ग्लेन यंगकिन ने घोषणा का स्वागत करते हुए इसे वर्जीनिया और पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया।
कैसे बनती है ऊर्जा
यह संयंत्र परमाणु संलयन के व्यावसायीकरण की खोज में एक नए चरण का प्रतिनिधित्व करेगा। न्यूक्लियर फ्यूजन के जरिए ही हमारे सूर्य की तरह दूसरे तारों को ताकत मिलती है। लेकिन इस दिशा में अभी भी रास्ता आसान नहीं है। दुनिया को एक स्वच्छ और प्रचुर ऊर्जा स्रोत की सख्त जरूरत है जो जीवाश्म ईंधन की जगह ले सके।
न्यूक्लियर फ्यूजन की टेक्नोलॉजी ऐसा ही वादा करती है। इसमें परमाणु कणों से फ्यूजन के जरिए ऊर्जा पैदा की जाती है। इसमें हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए टोकामैक नाम की डोनट के आकार वाली मशीन का इस्तेमाल होता है।
क्या होता है फायदा
संलयन ऊर्जा लगभग असीमित है, यह पर्यावरण को गर्म नहीं करती और वर्तमान में इस्तेमाल होने वाली विखंडन तकनीक की तरह रेडियोएक्टिव कचरा भी नहीं छोड़ता है। हालांकि, शोध परियोजनाओं से वाणिज्यिक इस्तेमाल तक इसे लाना बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है। CFS ने कहा है कि संलयन में रातों-रात कुछ नहीं होता। 2018 में MIT से अलग होकर स्थापित इस स्टार्टअप ने अब तक 2 अरब डॉलर से ज्यादा जुटाए हैं। उनका दावा है कि वे तेजी से प्रगति कर रहे हैं।