भारत राष्ट्र समिति के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए “अंधी नफरत” और उन्हें सत्ता से बेदखल करने का एकमात्र एजेंडा विपक्षी दलों को एकजुट करने का मुद्दा नहीं हो सकता है। उन्होंने साफ तौर पर यह भी कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश छोड़ दी है। यह कही ना कही विपक्षी दलों के लिए बड़ा झटका है।
केटी रामाराव ने क्या कहा
बीआरएस, जिसे पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति के रूप में जाना जाता था, ने कहा कि लोग इस तरह के दृष्टिकोण का स्वागत नहीं करेंगे और कहा कि यही कारण है कि केसीआर अपने तरीके से काम कर रहे थे। केटीआर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि लोगों को शासन के बेहतर मॉडल की जरूरत है, न कि केवल नेतृत्व के चेहरे में बदलाव की। उन्होंने कहा, “विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश करने के बाद, केसीआर ने एक नए शासन मॉडल के बिना इसकी निरर्थकता को महसूस किया है, जो देश की जरूरत है।” विशेष रूप से, केसीआर ने गैर-कांग्रेसी मोर्चा बनाने के लिए कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर, पिछले दो वर्षों में कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी।
भाजपा का नीतीश पर तंज
पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की पार्टी बीआरएस ने 12 जून की विपक्षी एकता बैठक में शामिल होने से इनकार दिया। यह नीतीश कुमार के महात्वाकांक्षी गुब्बारे में चुभी एक और पिन है। मोदी ने कहा कि केसीआर ने विपक्ष शासित चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में नीतीश कुमार को न्योता नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि इससे पहले उडीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने नीतीश कुमार की भाजपा-विरोधी मुहिम से किनारा कर लिया था। मोदी ने कहा कि राहुल गांधी के विदेश यात्रा पर रहने के कारण कांग्रेस की दूसरी-तीसरी कतार का कोई नेता ही पटना की विपक्षी जुटान में शामिल होगा। इसका कोई मतलब नहीं है।