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पहले दिया ग्रीन सिग्नल, फिर अचानक लिया वापस… भीषण घटना के पीछे ये गलती सामने आई

ओडिशा में कम से कम 261 लोगों की जान लेने वाली ट्रेन के पटरी से उतरने के 12 घंटे से अधिक समय के बाद रेलवे सिग्नल त्रुटि की संभावना को प्रथम दृष्टया कारण के रूप में देखा जा रहा है। तीन ट्रेन की इस भीषण टक्कर के बाद कई सवाल उठ रहे हैं, वहीं हादसे की संयुक्त जांच रिपोर्ट सामने आई है।

रिपोर्ट में इस भीषण घटना के पीछे सिग्नल से संबंधित गलती सामने आई है। बता दें कि ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार देर शाम दो यात्री ट्रेनें, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के पटरी से उतरने से 900 से अधिक लोग घायल हो गए। इस दौरान एक मालगाड़ी भी चपेट में आ गई।

पर्यवेक्षकों द्वारा एक बहु-अनुशासनात्मक संयुक्त निरीक्षण नोट में यह निष्कर्ष निकाला गया था कि कोरोमंडल एक्सप्रेस को निर्दिष्ट मुख्य लाइन से गुजरने के लिए हरी झंडी दी गई थी, और फिर सिग्नल बंद कर दिया गया था। लेकिन ट्रेन लूप लाइन में घुस गई, खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई और पटरी से उतर गई।

इसी दौरान डाउन लाइन पर यशवंतपुर से सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन आ गई और उसके दो डिब्बे पटरी से उतर गए। हम … सावधानीपूर्वक अवलोकन के बाद, इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि 12841 के लिए अप मेन लाइन के लिए सिग्नल दिया गया था। और बंद कर दिया गया था, लेकिन यह ट्रेन अप लूप लाइन में प्रवेश कर गई और अप लूप लाइन पर मालगाड़ी से टकरा गई और पटरी से उतर गई।

एक शीर्ष सूत्र ने कहा कि जहां रेलवे सुरक्षा आयुक्त विवरण की जांच करेंगे, वहीं रेलवे के अधिकारी सिग्नलिंग त्रुटि/विफलता के साथ-साथ लोको पायलट से जुड़े मुद्दों पर भी विचार कर रहे हैं। रेलवे ने अभी तक आधिकारिक तौर पर ट्रेन के पटरी से उतरने का कोई कारण नहीं बताया है।

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