सोनकर ने माइनिंग ब्लास्टिंग में पीएचडी कर स्थापित किए नए आयाम
टीम एक्शन इंडिया/ बिलासपुर/ कश्मीर ठाकुर
आवश्यक्ता अविष्कार की जननी है, मतलब जरूरत पड?े पर कोई न कोई नया आइडिया सामने आकर समस्या का निदान करने में सहायक साबित होता है। किरतपुर से लेकर नेरचैक तक बन रहे फोरलेन हाईवे एक्सप्रैस की सुरंगों को बनाने में जब ब्लास्टिंग की गई तो आसपास के इलाकों में संभावित नुकसान से प्रभावित एवं प्रेरित होकर यहां पर आईसीटी बिलासपुर कंपनी में काम रहे इंजीनियर राजेश सोनकर (53) ने माइनिंग ब्लास्टिंग में पीएचडी कर आने वाली पीढि?ों के लिए नए रास्ते खोले हैं। भविष्य में होने वाले निमार्णों में ब्लास्टिंग से कम से कम नुकसान हो इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग करते हुए राजेश ने एनआईटी रायपुर छतीसगढ़ से पीएचडी की। राजेश सोनकर की इस उपलब्घि से इनकी टीम में भी हर्ष की लहर है। करीब तीन सालों से बिलासपुर नगर के डियारा सेक्टर में रह रहे राजेश सोनकर के पिता बीएल सोनकर भिलाई स्टील प्लांट में लेक्चरर थे।
परिवार में सबसे बड़े राजेश सोनकर की प्रांरभिक शिक्षा रायपुर में हुई जबकि बीटेक इन्होंने रायपुर से ही की। राजेश सोनकर ने बताया कि जब कहीं ब्लास्टिंग कार्य होता है तो आसपास के आवास, स्ट्रक्चर, भवन आदि पर भी कंपन्न का असर पड़ता है। और नुकसान होने का अंदेशा भी बना रहता है। नुकसान न हो या कम से कम होए इसके लिए माइनिंग एवं ब्लास्टिंग विषय पर उन्होंने शोध किया। इसी विषय पर पीएचडी कर सोनकर ने नए आयाम स्थापित किए हैं।
उनका यह शोध कार्य ब्लास्टिंग से आसपास के घर वं स्ट्रक्चर्स के बचाव के उपाय पर किया गया है। इसमें इन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग किया। इनके दो शोध इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। डाण् ज्योति से परिणय सूत्र में बंधने पर इनकी एक बेटी जर्मनी में पढ़ रही है जबकि बेटी पूना में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। राजेश सोनकर ने बताया कि भविष्य यह शोध बहुत काम आएगा। वहीं राजेश सोनकर की इस उपलब्धि पर उनकी कंपनी के आलाधिकारियों के साथ समाजसेवी राजेंद्र चैहान ने उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।