अन्तर्राष्ट्रीय

जब से आई मोदी सरकार, तब से पाक में शामत: रिकॉर्ड स्तर पर सुसाइड अटैक; मौत के आंकड़ों में 226% की उछाल

इस्लामाबाद.

सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए कुख्यात  पाकिस्तान में आत्मघाती हमलों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। खासकर जब से भारत में नरेंद्र मोदी की सरकार आई है, तब से  यानी 2014 के बाद से अब तक यानी 2023 में सबसे अधिक आत्मघाती हमले हुए हैं, जिनमें से लगभग आधे सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर किए गए। पाकिस्तान के मशहूर अखबार 'डॉन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में इस साल सबसे ज्यादा आत्मघाती हमले हुए हैं।

डॉन ने पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज (PICSS) का हवाला देते हुए बताया है कि इस साल "चौंका देने वाले 29 आत्मघाती हमले हुए, जिसके परिणामस्वरूप 329 लोगों की मौत हुई और 582 लोग घायल हुए हैं।" PICSS की रिपोर्ट में कहा गया है, "48 प्रतिशत मौतें और 58 प्रतिशत चोटें पाक सुरक्षाकर्मियों को हुईं हैं। यह 2013 के बाद से सबसे अधिक मौत का आंकड़ा है, जब 47 आत्मघाती बम विस्फोटों में 683 लोगों की जान चली गई थी।"

पिछले वर्ष, 2022 के आंकड़ों की तुलना करने पर पता चलता है कि एक साल के अंदर आत्मघाती हमलों की संख्या में 93 प्रतिशत की चिंताजनक वृद्धि हुई है, जिसके  परिणामस्वरूप मौत के आंकड़ों में चौंकाने वाली 226 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। आत्मघाती हमलों में घायल हुए व्यक्तियों की संख्या में भी चिंताजनक 101 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। इसके अलावा, पाकिस्तान में हमलों की कुल संख्या में आत्मघाती हमलों की हिस्सेदारी जो 2022 में 3.9 प्रतिशत थी, वह बढ़कर 2023 में 4.7 प्रतिशत हो गई है, जो स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि खैबर पख्तूनख्वा में सबसे ज्यादा ऐसे हमले हुए हैं। वहां 23 घटनाओं में 254 मौतें हुईं और 512 लोग घायल हुए हैं। केपी के भीतर, नए विलय वाले जिलों या पूर्ववर्ती संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (फाटा) में 13 आत्मघाती हमले हुए, जिनमें 85 मौतें हुईं और 206 घायल हुए। बलूचिस्तान को भी ऐसे पांच हमलों का सामना करना पड़ा, जिसमें 67 मौतें हुईं और 52 घायल हुए, जबकि सिंध में एक आत्मघाती हमला हुआ, जिसके परिणामस्वरूप आठ मौतें हुईं और 18 घायल हुए हैं।

रिपोर्ट में एक पाई चार्ट के जरिए दिखाए गए आंकड़ों के मुताबिक आत्मघाती हमलों की वजह से 48 प्रतिशत मौतें और 58 प्रतिशत चोटें सुरक्षा बलों के कर्मियों को हुईं हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे आत्मघाती हमले जो पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाने वाले थे, वह 2014 में 30 थे जो 2019 तक घटकर सिर्फ तीन रह गए थे लेकिन 2022 से इसमें अचानक बढ़ोत्तरी देखी गई है। 2022 में कुल 15 आत्मघाती हमले हुए, जिसमें 101 लोगों की मौत और 290 लोग घायल हो गए। 2023 में भी यही ट्रेंड देखा जा रहा है।

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