पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में हिंदू महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न में ममता सरकार पर खूब बरसा HC
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में हिंदू महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और जमीनें कब्जाने के आरोपी शाहजहां शेख की फरारी के मामले में हाई कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता और दबंग शाहजहां शेख इस तरह फरार नहीं हो सकता। सरकार उसका समर्थन नहीं कर सकती। संदेशखाली जाने की परमिशन वाली भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि हमने उन शिकायतों का संज्ञान लिया है, जिसमें महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।
चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम ने कहा, 'हमने शिकायतों का देखा है। इलााके की महिलाओं ने बताया है कि वह जमीनें भी कब्जा लेता था। शाहजहां शेख इस तरह से भाग नहीं सकता। राज्य सरकार उसका समर्थन नहीं कर सकती। हम उससे कहेंगे कि वह यहां सरेंडर करे। वह कानून नहीं तोड़ सकता।' यही नहीं बेंच ने कहा कि यदि एक शख्स पूरी आबादी से ही फिरौती मांगता है तो फिर सत्ता उसका साथ नहीं दे सकती। वह सिर्फ जनता का प्रतिनिधि है। उसका काम जनता का हित करना है। चीफ जस्टिस ने कहा कि पहली नजर में यह समझ आता है कि शाहजहां शेख ने लोगों को परेशान किया था।
वह फिलहाल फरार है और अपराध करके गायब है। हम नहीं जानते कि उसे बचाया जा रहा है या नहीं, लेकिन उसकी सुरक्षा कर पाना आसान नहीं होगा। संदेशखाली में पाबंदियों को लेकर हाई कोर्ट ने ममता सरकार को फटकार भी लगाई। अदालत ने कहा कि आप सिर्फ तनावपूर्ण हालात पैदा कर रहे हैं। आप बेवजह ही स्थानीय लोगों को परेशान कर रहे हैं। कोरोना की तरह ही लोग परेशान हैं और डिप्रेशन में हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें घर के अंदर ही रहने को मजबूर होना पड़ा है। हालांकि अदालत ने यह भी कहा कि कोई कुछ कहता है तो उतने से ही एक आरोपी दोषी नहीं हो जाता। लेकिन आप इस तरह उसे भगा नहीं सकते।
वहीं अदालत के सवाल पर राज्य सरकार के वकील ने कहा कि इलाके में इसलिए पाबंदियां नहीं लगीं कि आम लोगों को परेशान किया जाए। हमारी कोशिश यह है कि नेताओं के ज्यादा पहुंचने से स्थिति खराब न हो। बता दें कि टीएमसी का स्थानीय नेता शाहजहां शेख करीब एक महीने से गायब है। जनवरी में उसके यहां ईडी की टीम ने छापेमारी की थी, लेकिन शाहजहां के गुंडों ने टीम पर हमला कर दिया था। फिर मामले की जांच हुई तो पता चला कि उससे तो गांव के लोग भी परेशान थे। वह महिलाओं का यौन उत्पीड़न करता था और गांव के ही कई परिवारों की जमीनें कब्जा रखी थीं।