अन्य राज्यबिहार

नालंदा-बिहार लोकसभा के चुनाव में नीतीश के जादू की परीक्षा, सांसद कौशलेंद्र के सामने JNU के पूर्व छात्र नेता संदीप सौरव की चुनौती

नालंदा.

नालंदा के प्राचीन और विश्वविख्यात विश्वविद्यालय के भग्नावशेष दूर से ही दिखने लगते हैं। अतीत में बिहार में ज्ञान के इस केंद्र ने न जाने कितने युवाओं को ज्ञान की राह दिखाई होगी। मगर, मौजूदा हालात और नालंदा के गौरवशाली इतिहास में कोई साम्य दिखता है, तो बस यह कि राजनीति के दिग्गजों का इस क्षेत्र से जुड़ाव रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार इसी जिले के रहने वाले हैं।

एक बार लोकसभा चुनाव भी जीत चुके हैं। कहा जाता है कि नालंदा अगर रोम है, तो नीतीश यहां के पोप हैं। 1996 से 2019 तक यहां से वही जीता, जिसके ऊपर नीतीश का हाथ रहा है। नीतीश की पार्टी से ही दिग्गज नेता जार्ज फर्नांडिस 1996, 98 और 99 में जीतकर सांसद बने। इस लोकसभा सीट पर मौजूदा मुकाबला भी बेहद दिलचस्प है, एनडीए में हुए समझौते के तहत यह सीट जदयू के खाते में आई है। यहां से 2009, 14 और 19 में जीतने वाले कौशलेंद्र कुमार पर ही पार्टी ने दांव लगाया है। उनके सामने हैं 36 साल के युवा संदीप सौरव। किसान परिवार के संदीप भाकपा-माले के प्रत्याशी हैं। इस दल को महागठबंधन ने बिहार में तीन सीटें दी हैं। नालंदा इसी में से एक है। संदीप जेएनयू से पीएचडी हैं। छात्र राजनीति की है और छात्र संघ के महासचिव रहे हैं। सक्रिय राजनीति में 2017 से हैं। प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर भाकपा-माले में आए और 2020 में पालीगंज विधानसभा सीट से विधायक बने। नालंदा में कुल 29 प्रत्याशी मैदान में हैं और एक जून को मतदान होगा।

मुद्दे और मतदाता —
नालंदा में नीतीश के दबदबे का सबसे बडा कारण कुर्मी वोटर अधिक होना है। कुर्मी यहां 24 फीसदी और यादव 15 फीसदी हैं। मुस्लिम वोटर दस फीसदी हैं। लगभग 22 लाख मतदाता हैं। ओबीसी 40 प्रतिशत हैं। राजगीर के विख्यात रोपवे जाते समय शंख लिपि स्मारक के पास तैनात सुरक्षाकर्मी रोहित कुमार कहते हैं, हमें नहीं पता यहां से कौन प्रत्याशी हैं, बस इतना पता है कि मोदी गरीबों के लिए अच्छा काम कर रहे हैं। रोपवे के पास खिलौनों की दुकान लगाने वाले चंचल प्रसाद कहते हैं, जदयू और महागठबंधन के बीच रोचक मुकाबला होगा। वहीं, नालंदा के खंडहर में गाइड का काम करने वाले प्रवीण कुमार कहते हैं, गरीबों की कोई नहीं सुनता, ऐसा व्यक्ति चुना जाए, जो सबके लिए काम करे।

पिछले दो लोकसभा चुनाव के नतीजे —
लोकसभा चुनाव 2019
उम्मीदवार      दल     मत%
कौशलेंद्र कुमार     जदयू     52.42
अशोक आजाद     माले     27.6
 
लोकसभा चुनाव 2014
उम्मीदवार      दल     मत%
कौशलेंद्र कुमार     जदयू     34.93
सत्य नंद शर्मा     लोजपा     33.88

नालंदा में क्या है खास, कैसे पड़ा नाम —
ना-आलम-दा यानी नालंदा, संस्कृत में इसका अर्थ है, ज्ञान का न रुकने वाला प्रवाह। 450 ईस्वी में सम्राट कुमारगुप्त के बनाए नालंदा विश्वविद्यालय, राजगीर और पावापुरी के खंडहरों को देखने प्रतिवर्ष लाखों लोग आते हैं।
मगध साम्राज्य की पहली राजधानी राजगीर ही थी, जो राजगृह का अपभ्रंश है। बुद्ध ने कुछ समय यहां बिताया था, तो भगवान महावीर का निर्वाण स्थल पावापुरी यहां है।

अंधेरी रातों की रेस का घोड़ा —
कौशलेंद्र को नीतीश का बेहद करीबी माना जाता है। वे लाइमलाइट से दूर रहते हैं और 1977 से सक्रिय राजनीति में हैं। जनता दल से टिकट नहीं मिलने पर 1995 में पहली बार इस्लामपुर से विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़े, पर हार गए। लेकिन उन्होंने नीतीश का ध्यान अपनी तरफ खींचा। इसके बाद उन्होंने कभी नीतीश का साथ नहीं छोड़ा। 2004 में नीतीश बाढ़ और नालंदा दो सीटों से चुनाव लड़े। वे बाढ़ से हारे और नालंदा से जीते। इस जीत में कौशलेंद्र का बड़ा योगदान था। इसी के एवज में नालंदा से उन्हें 2009 में टिकट मिला। वे अब चौथी बार जीत की तलाश में हैं। तीनों बार चुनाव परिणाम रात में आया, इसलिए स्थानीय लोग उन्हें प्यार से अंधेरी रातों की रेस का घोड़ा भी कहते हैं। कौशलेंद्र भी किसान परिवार से हैं।

कांग्रेस और भाकपा का गढ़ रही सीट ——
0- 1957 में पटना सेंट्रल सीट का नाम बदलकर नालंदा लोकसभा क्षेत्र किया गया। इस सीट से सात विधानसभा क्षेत्र जुड़े हैं।
0- 1957 से 71 तक अन्य सीटों की तरह यहां भी कांग्रेस का दबदबा रहा। कैलाशपति सिन्हा 57 में और फिर तीन बार सिद्धेश्वर प्रसाद सांसद रहे। 77 की लहर में जनता पार्टी से बीरेंद्र प्रसाद जीते। 80 और 84 में भाकपा के विजय यादव विजयी रहे। 89 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और रामस्वरूप प्रसाद जीते। यह आखिरी जीत साबित हुई।
0- 91 में भाकपा से फिर विजय यादव जीते। 96, 98, 99 में समता पार्टी से जार्ज फर्नांडिस जीते। 2004 में नीतीश और फिर कौशलेंद्र लगातार तीन बार जीते।

"" जब से नीतीश बिहार के सीएम बने हैं, राज्य में विकास हो रहा है। मोदी के कार्यकाल में कोई भ्रष्टाचार नहीं है। आरक्षण पर कांग्रेस की बयानबाजी गलत है। भारत में संविधान पर कोई खतरा नहीं है, मुद्दा विकास ही है।""
-कौशलेंद्र कुमार, जदयू

"" ये चुनाव मेरा नहीं है, नालंदा की जनता का है। लोग कहते थे कि नीतीश नालंदा में मजबूत हैं, अब ऐसा नहीं है। उनकी सिद्धांतविहीन राजनीति से लोग नाराज हैं। हम जनता की आकांक्षा पर खरा उतरकर दिखाएंगे।""
– संदीप सौरव, भाकपा-माले प्रत्याशी

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button