
धूर्त को जहां भी रखो वह छल ही करेगा: पंडित सुरेश भारद्वाज
कश्मीर ठाकुर
बिलासपुर: नगर के डियारा सेक्टर में श्री पिपलेश्वर महादेव मंदिर के सामने पार्क में चल रही श्रीमद भागवत कथों दो जून से श्रीमद भागवत कथा का शुभारंभ हो गया। बाबा नंदी सरस्वती महाराज के सानिध्य एवं जन सहयोग से हो रही इस कथा यज्ञ में प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए प्रसिद्ध कथावाचक पंडित सुरेश भारद्वाज ने कहा कि राजा परीक्षित ने जब कलयुग से अपने राज्य से निकल जाने को कहा तो कलयुग ने राजा से कहा कि अब तो द्वापर युग खत्म हो चुका है अत: अब मुझे इस धरती पर रहने का अधिकार है।
कृपया करके मुझे अपने राज्य में रहने के लिए स्थान दें क्योंकि यही नियति है। राजा परीक्षित ने बहुत सोच समझकर कलयुग को जुआ, मद्यपान, परस्त्रीगमन और हिंसा इन चार स्थानों में असत्य, मदए काम और क्रोध में रहने की छूट दी। इस पर कलयुग ने कूटनीति दिखाते हुए कहा कि महाराज आप जैसे धर्म प्रतिज्ञ और धर्मात्मा राजा के राज्य में यह चार स्थान तो हो ही नहीं सकते हैं, तो भला मैं कहां रहूंगा, कृपया करके मुझे इनके अतिरिक्त कोई और स्थान दें।
पंडित जी ने कहा कि इस पर राजा परीक्षित ने कलियुग को चार स्थानों के अतिरिक्त स्वर्ण में निवास करने की अनुमति दे दी। बस यही पर राजा परीक्षित गलती कर गए उनकी गलती का फायदा उठाकर कलयुग उन्हीं राजा परीक्षित के स्वर्ण मुकुट में बैठ गया और इस प्रकार द्वापर युग का अंत हुआ।