
हरियाणा में तीन राष्ट्रीय दलों के बीच क्षेत्रीय दलों को रास्ता बनाना होगा
टीम एक्शन इंडिया
चंडीगढ़: हरियाणा में लोकसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा व कांग्रेस के विकल्प रूप में जहा आम आदमी पार्टी तीसरी ताकत के रूप में उभरती दिखाई दी है वही प्रदेश के क्षेत्रीय दल जेजेपी और इनेलो अस्तित्व के लिए जूझने को मजबूर हुए है। जेजीपी ने विधानसभा चुनाव मजबूती से लड़ने का फैसला किया है। दोनो क्षेत्रीय दलों को इस बार तीन राष्ट्रीय दलों के बीच अपना रास्ता बनाना होगा।
जजपा ने भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन किसी भी सीट पर जजपा उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा सके। सोनीपत, कुरुक्षेत्र, रोहतक, अंबाला और फरीदाबाद लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां जजपा उम्मीदवार 10 हजार मतों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए। करनाल में 11 हजार 467, गुरुग्राम में 13 हजार 278, भिवानी-महेंद्रगढ़ में 15 हजार 265, सिरसा में 20 हजार 80 और हिसार में 22 हजार 32 वोट जजपा उम्मीदवारों को मिले हैं।
भिवानी-महेंद्रगढ़ से एक बार डॉ. अजय सिंह चौटाला और हिसार से स्वयं दुष्यंत चौटाला सांसद रहे हैं, लेकिन तब वे इनेलो के टिकटों पर सांसद रहे थे। 2018 में इनेलो से अलग होकर जजपा अस्तित्व में आई थी। राज्य में साढ़े चार साल तक भाजपा व जजपा का गठबंधन रहा। जजपा के इस समय 10 विधायक हैं, जिसमें से दो खुले तौर पर भाजपा के साथ चल रहे हैं, जबकि तीन कभी भाजपा व कभी कांग्रेस के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं।
भाजपा के साथ चल रहे दोनों विधायकों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए जजपा ने विधानसभा स्पीकर को पत्र लिखा हुआ है। 2019 में आम आदमी पार्टी के साथ जजपा मिलकर चुनाव लड़ चुकी है, जबकि 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे पर जजपा का भाजपा से गठबंधन टूटा था।