राष्ट्रीय

महाराष्ट्र में ओबीसी समुदाय के15 डॉक्टरों ने आरक्षण छोड़ने की इच्छा जताई, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखा

मुंबई
 महाराष्ट्र में इन दिनों मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच आरक्षण को लेकर विवाद छिड़ा हुआ। इस बीच ओबीसी समुदाय के कुछ डॉक्टरों ने आरक्षण कोटा से मिलने वाले लाभों को छोड़ने की इच्छा जताई है। इन्हीं में से एक है 40 वर्षीय ओबीसी डॉक्टर राहुल घुले। डॉ राहुल ने आरक्षण को इसे लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखा है। इस पत्र में डॉक्टर राहुल ने खुद के लिए और अपने परिवार के लिए आरक्षण कोटा और उससे मिलने वाले लाभों को छोड़ने की इच्छा जताई है। डॉ राहुल वंजारी समुदाय से आते हैं और ठाणे में 'एक रुपया क्लिनिक' चलाते हैं। उनका मानना है कि अगर आर्थिक रूप से संपन्न लोग आरक्षण छोड़ देते हैं तो यह जरूरतमंद गरीबों को इसका लाभ मिलेगा और सामाजिक तनाव कम होगा।

एक रुपया क्लिनिक चलाते हैं डॉ राहुल
डॉ घुले मराठवाड़ा के धाराशिव से ताल्लुक रखते हैं और उनके पिता एक शिक्षक हैं। उन्होंने 2003 में मुंबई के जी एस मेडिकल कॉलेज में ओबीसी-एनटी कोटा के तहत दाखिला लिया था और एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। पिछले 16 साल से वो मुंबई में प्रैक्टिस कर रहे हैं। डॉ घुले की शादी एक एनेस्थीसिया विशेषज्ञ से हुई है। 2017 में ठाणे में 'एक रुपया क्लिनिक' शुरू करने वाले डॉ घुले अब मुंबई और उत्तर प्रदेश में भी ऐसे कई क्लीनिक चलाते हैं।

डॉ राहुल ने किया ये दावा
डॉ राहुल घुले का दावा है कि 2008 में उनके द्वारा स्थापित ओबीसी मेडिकोस एसोसिएशन के कम से कम 15 अन्य डॉक्टर भी अपने जाति प्रमाण पत्र वापस करना चाहते हैं। ये सभी आरक्षण कोटा छोड़ना चाहते हैं। नियमों के अनुसार, अगर किसी ओबीसी परिवार की तीन साल की सालाना आय 8 लाख रुपये से ज़्यादा है तो वह 'क्रीमी लेयर' में आता है। उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। लेकिन, डॉक्टर घुले और उनके साथी इस कदम को एक सामाजिक संदेश देने के रूप में देखते हैं।

'मराठा-ओबीसी आंदोलन ने समाज में दरार पैदा की'
डॉ. घुले का मानना है कि मराठा-ओबीसी आंदोलन ने समाज में दरार पैदा कर दी है। अगर अमीर लोग अपना आरक्षण छोड़ देते हैं तो आरक्षण गरीबों को मिलेगा और ऐसे विवाद खत्म होंगे। इस उद्देश्य के साथ उन्होंने 'आरक्षण छोड़ो, समाज जोड़ो’ अभियान भी शुरू किया है।

इन डॉक्टरों ने भी किया आरक्षण छोड़ने का फैसला
डॉ घुले के साथ काम करने वाले डॉक्टर वैभव मलवे और अनिल चौधरी ने भी आरक्षण छोड़ने का फैसला किया है। कल्याण में रहने वाले डॉ मलवे सोनार समुदाय से आते हैं, जबकि धुले के रहने वाले अनिल चौधरी तेली समुदाय से हैं। डॉ. मलवे कहते हैं कि हमारी जाति तो जीवन भर वही रहेगी। लेकिन एक बार आर्थिक रूप से मजबूत हो जाने के बाद हमें जीवन भर या आने वाली पीढ़ियों के लिए आरक्षण की आवश्यकता नहीं है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot
lemonadestand.online monitordepok.com portal.pramukamaros.or.id elibrary.poltektranssdp-palembang.ac.id cutihos.wikaikon.co.id pmb.umpar.ac.id industri.cvbagus.co.id ppdb.smpn1mantup.sch.id taqwastory.sma1bukitkemuning.sch.id media.iainmadura.ac.id omedia.universitasbumigora.ac.id pik.omedia.universitasbumigora.ac.id https://threadsofhopetextiles.org/bekleng/indexing/