अन्य राज्यबिहार

झारखंड-हाई कोर्ट ने संपत्ति को नहीं माना मौलिक अधिकार, बुलडोजर ऐक्शन पर फिर भी मुआवजा दे सरकार

रांची.

झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को पांच दुकानों वाली एक निजी स्वामित्व वाली इमारत पर अवैध रूप से बुलडोजर चलाने के लिए 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। कोर्ट ने सरकार की इस मनमानी कार्रवाई के कारण दुकान के मालिक को हुई मानसिक पीड़ा के लिए 25,000 का अतिरिक्त भुगतान करने का भी निर्देश दिया। हाई कोर्ट के जज संजय कुमार द्विवेदी की पीठ ने राज्य की इस कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे पूरी तरह से अवैध, मनमाना और सनकपूर्ण बताया।

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य के अधिकारी एटैट डे ट्रॉइट के सिद्धांत के अधीन हैं, जो बताता है कि राज्य के सभी कार्यों को कानून और संविधान द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए और ऐसी कार्रवाई करने से पहले प्रभावित व्यक्तियों को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए। बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा कि इस न्यायालय की राय है कि प्राधिकरण की कार्रवाई अवैध थी और कानून के शासन के सभी सिद्धांतों का उल्लंघन है। इससे निश्चित रूप से याचिकाकर्ता को उसकी संपत्ति को भौतिक क्षति के अलावा मानसिक पीड़ा और चोट पहुंची है। कोर्ट ने कहा कि हालांकि संपत्ति का अधिकार अब मौलिक अधिकार नहीं है, फिर भी यह संवैधानिक अधिकार के रूप में संरक्षित है। कोर्ट ने 27 जून के अपने फैसले में कहा संपत्ति का अधिकार अब मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन यह अभी भी एक संवैधानिक और मानव अधिकार है। कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा। याचिकाकर्ता राजेंद्र प्रसाद साहू ने 1973 में उनके द्वारा खरीदी गई रैयती भूमि पर 1997 में पांच दुकानें बनाई थीं। याचिकाकर्ता ने रैयती भूमि हस्तांतरण व्यवस्था के हिस्से के रूप में पूर्व मकान मालिक को किराया भी दिया, जिसके लिए उसे किराये की रसीदें मिलीं। 1988 में उपमंडल अधिकारी चतरा ने संपत्ति के स्वामित्व में परिवर्तन को रद्द कर दिया, जो याचिकाकर्ता के पक्ष में थी। याचिकाकर्ता ने अतिरिक्त कलेक्टर के समक्ष इस कदम को चुनौती देते हुए एक अपील दायर की, जिसे 1990 में अनुमति दे दी गई। इससे याचिकाकर्ता के नाम पर स्वामित्व में परिवर्तन की प्रविष्टि बहाल हो गई। हालांकि, 2005 में चतरा नगर पालिका के सर्कल अधिकारी ने याचिकाकर्ता को किराया रसीद जारी करना बंद कर दिया। किराया जमा करने की कोशिशों के बावजूद अधिकारी ने इसे लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने चतरा के उपायुक्त को एक अभ्यावेदन दायर कर किराया स्वीकार करने और रसीद जारी करने का आदेश देने का अनुरोध किया। इसके बाद 2006 में अंचल अधिकारी ने नोटिस जारी कर साहू से जमीन से संबंधित दस्तावेज पेश करने को कहा। आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने के बावजूद अंचल अधिकारी ने 23 मई 2006 को चल रहे जमाबंदी (भूमि राजस्व रिकॉर्ड जिसमें भूमि स्वामित्व का विवरण भी शामिल है) को रद्द करने की सिफारिश की। अंचल अधिकारी के फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने कोर्ट में रिट याचिका दायर की। कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका का निपटारा कर दिया कि उस स्तर पर कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया गया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने भूमि सुधार उप समाहर्ता के समक्ष मामले को चुनौती दी। उन्होंने अंचल अधिकारी के आदेश को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि जमाबंदी जारी रहनी चाहिए। हालांकि 2011 में जिला प्रशासन ने बिना कोई कानूनी कार्यवाही शुरू किए, कोई नोटिस जारी किए या किसी कोर्ट के आदेश के बिना याचिकाकर्ता द्वारा निर्मित पांच दुकानों को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का रुख किया। उन्होंने हाई कोर्ट को बताया कि जिला प्रशासन ने बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए उनकी दुकानों पर जबरन बुलडोजर चला दिया। इसके जवाब में राज्य सरकार ने कहा कि ध्वस्त की गई संरचनाएं अतिक्रमण थीं। साहू को उस भूमि का अधिग्रहण करने का कोई अधिकार नहीं था,  जिस पर वे बनाए गए थे।

राज्य सरकार के तर्कों की जांच करने के बाद कोर्ट ने साहू के पक्ष में फैसला सुनाया। साथ ही राज्य प्राधिकरण को ध्वस्त संपत्ति के पुनर्निर्माण और याचिकाकर्ता को हुई पीड़ा के लिए मुआवजा देने का आदेश दिया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot
lemonadestand.online monitordepok.com portal.pramukamaros.or.id elibrary.poltektranssdp-palembang.ac.id cutihos.wikaikon.co.id pmb.umpar.ac.id industri.cvbagus.co.id ppdb.smpn1mantup.sch.id taqwastory.sma1bukitkemuning.sch.id media.iainmadura.ac.id omedia.universitasbumigora.ac.id pik.omedia.universitasbumigora.ac.id https://threadsofhopetextiles.org/bekleng/indexing/ metro.jrs.or.id sim.kotaprabumulih.go.id web.sip.pn-kotaagung.go.id