
कफ सिरप पर क्लीन चिट या क्लीन चिट पर दाग?
जयपुर
राजस्थान में कायसन फार्मा की कफ सिरप को लेकर सरकार की जांच रिपोर्ट ही सवालों में आ गई है। शुक्रवार को सरकार ने अपनी जांच रिपोर्ट में कंपनी के झुंझुनु, भरतपुर और जयपुर से उठाए सैंपल्स को क्लीन चिट दे दी। इसके बाद देर रात कंपनी की सभी 19 दवाओं के विरतण पर रोक लगा दी और दवाओं के मानक निर्धारण की प्रक्रिया को प्रभावित करने के मामले में औषधि नियंत्रक राजाराम शर्मा को निलंबित भी कर दिया। जांच रिपोर्ट में जो सैंपल चैक किए गए उनमें दवा के साल्ट तय मानकों से या तो कम थे या ज्यादा थे।
जांच रिपोर्ट में क्या?
जयपुर का सैंपल- बैच नंबर (KL-25/148), कंपनी कायसन फार्मा: इस सैंपल में प्रोपलीन ग्लायकॉल , एथेलीन ग्लायकॉल, डायथेलीन ग्लायकॉल कंटेंट नहीं था(इनके होने से दवा एलकोहाल में बदल जाती है)। डेक्ट्रोमेथारफान हाईड्रोब्रोमाइड की 13.5 एमजी मात्रा होनी चाहिए थी लेकिन जांच में यह भी 13.11 एमजी ही पाई गई।
भरतपुर का सैंपल- बैच नंबर (KL-25/147), कंपनी कायसन फार्मा: इस सैंपल में प्रोपलीन ग्लायकॉल , एथेलीन ग्लायकॉल, डायथेलीन ग्लायकॉल नहीं था। डेक्ट्रोमेथारफान हाईड्रोब्रोमाइड की 13.5 एमजी मात्रा होनी चाहिए थी लेकिन जांच में यह भी 12.98 एमजी ही पाई गई।
झुंझुनू का सैंपल- बैच नंबर (KL-25/250), कंपनी कायसन फार्मा: इस सैंपल में प्रोपलीन ग्लायकॉल , एथेलीन ग्लायकॉल, डायथेलीन ग्लायकॉल नहीं था। इसके अलावा डेक्ट्रोमेथारफान हाईड्रोब्रोमाइड की 13.5 एमजी मात्रा होनी चाहिए थी लेकिन जांच में यह भी 13.22 एमजी ही पाई गई। इसी तरह कई सैंपल्स में साॅल्ट की मात्रा तय मानकों से अधिक पाई गई। हालांकि इसके लिए जांच कमेटी ने स्टैंडर्ड प्रोसिजर के तहत दवा में तय मानकों से 95 से 105 प्रतिशत के सॉल्ट विरियेशन को कंज्यूमेबल माना है।
विवाद बढ़ने के बाद सरकार इस मामले में बैकफुट पर आई। शाम को मंत्री ने अपने बयान में कंपनी को क्लीन चिट दी और रात होते-होते कहा कि कंपनी के सैंपल्स की फिर से जांच करवा लेंगे। सिरप को पीने से अब तक करीब 35 बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो चुके हैं। वहीं 4 बच्चों की मौत भी हो चुकी है। जिनमें दो भरतपुर और दो बच्चे सीकर से हैं। हालांकि सरकार ने इस मामले में यह कहकर पल्ला झाड लिया कि इन बच्चों को दवा सरकारी अस्पताल से नहीं लिखी गई।
बड़ी संख्या में प्रेसक्रिप्शन होती है कफ सिरप की खरीद
पिछले दिनों राजस्थान में आईसीएमआर की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया है कि राजस्थान में बड़ी संख्या में लोग बिना चिकित्सकीय प्रेसक्रिप्शन के ही कफ सिरप खरीदते हैं। इसके लिए जयपुर में कफ सिरप खरीदने वालों का नाम पता दर्ज करने के आदेश भी औषधि नियंत्रक की तरफ से जारी किए गए थे। इसमें कफ सिरप की खरीद करने पर फोन नम्बर एड्रेस देना अनिवार्य करने की बात कही गई थी।
हानिकारक दवाओं पर अंकित होगी चेतावनी
ऐसी दवाएं जो बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकती हैं, उन दवाओं पर अब इस संबंध में आवश्यक जानकारी भी अंकित करवाने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। साथ ही, ऐसी दवाएं जो सीओपीडी जैसी बीमारी में उपचार के लिए काम आती हैं, उनकी खरीद एवं आपूर्ति को भी नियंत्रित किया जाएगा। सामान्य परिस्थितियों में खांसी के उपचार के लिए वैकल्पिक दवाओं का उपयोग किया जाएगा।