
अयोध्या में हनुमानगढ़ी के संत पर जानलेवा हमला! सोते समय कमरे में फेंकी गई आग
अयोध्या
श्रीराम की नगरी अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर परिसर में ही स्थित भवन में रहने वाले संत महेश योगी को जिंदा जलाने की कोशिश की गई है। संत के अनुसार शुक्रवार की भोर में सोते समय उनके कमरे में पीछे की ओर लगी खिड़की की लोहे की जाली काटकर ज्वलनशील पदार्थ के साथ आग अंदर फेंकी गई। संयोग से आग कमरे में फैलते ही संत की आंख खुल गई और वह बाहर भाग कर अपनी जान बचाने में सफल हो गए। पुलिस और फोरेंसिक विभाग की टीम जांच में जुटी है। सीसीटीवी से सुराग की कोशिश हो रही है।
थाना राम जन्मभूमि क्षेत्र में स्थित हनुमानगढ़ी परिसर में रहने वाले स्वामी महेश योगी ने बताया कि वह अपने भवन गोविंदगढ़ में रोज की तरह गुरुवार की रात सो रहे थे। शुक्रवार की भोर में लगभग साढ़े तीन बजे आश्रम के पिछले हिस्से में खिड़की में लगी लोहे की जाली काटकर कमरे को जलाने के उद्देश्य से अंदर आग का गोला फेंका गया। इससे कमरे में आग की लपटें और धुंआ निकलने लगा और उनकी आंख खुल गई।
संत का आरोप है कि यह आग उन्हें मारने की साजिश के तहत लगाई गई थी। आग ज्वलनशील पदार्थ के माध्यम से लगाई गई है, क्योंकि बदबू पूरे कमरे फैल गई थी। समय रहते आग बुझा ली गई। इससे अधिक नुकसान नहीं हुआ है। संत की शिकायत पर पुलिस और फॉरेंसिक टीम जांच में जुट गई है। सीसीटीवी से संदिग्ध व्यक्ति की पहचान की जा रही है।
मेरे खिलाफ कुछ संत कर रहे षड्यंत्र
संत महेश योगी ने एक दूसरे संत का नाम लेते हुए कहा कि वह मेरे खिलाफ साजिश रच रहे हैं। उनकी सह पर हनुमानगढ़ी से निष्कासित कुछ संत आए दिन षड्यंत्र करते रहते हैं। यहां तक कि दुष्कर्म जैसे अपराध में भी मुझे फंसाने की साजिश पहले रच चुके हैं। कहा कि उस महंत ने दो साल से हनुमानगढ़ी से मिलने वाली सभी सहायता बंद कर दी है। यहां तक कि दान पात्र में मिले रुपए भी ले लिए हैं, जिसमें करीब दो करोड़ रुपए की धांधली की गई है। इसकी शिकायत की थी। तब आरोपी संत को फटकार भी लगी थी। इसके बावजूद षड्यंत्र जारी है।
यह भी कहा कि हनुमानगढ़ी में चार पट्टियां (उज्जैनिया, बसंतिया, सागरी और हरिद्वारी) हैं। चारों महंतों के ऊपर एक गद्दीनशीन होते हैं। चारों पट्टियों में चार-चार महंत होते हैं। इन पट्टियों में 40 से 50 आश्रम हैं। प्रत्येक आश्रम के अलग-अलग महंत होते हैं। बसंतिया पट्टी के 40 आश्रम हैं, जिनमें से एक गोविंदगढ़ आश्रम का मैं महंत हूं। आश्रम की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए मुझे मारने की साजिश रची जा रही है।



