दिल्ली

कुमार राजीव रंजन सिंह की किताब ‘वो सत्रह दिन’ पर हुई परिचर्चा

टीम एक्शन इंडिया
नई दिल्ली: पिछले साल उत्तराखंड के सिलक्यारा में हुए टनल हादसे पर लिखित पुस्तक ‘वो 17 दिन’ पर आज यहां साहित्य अकादमी सभागार में परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में पुस्तक के लेखक और इंडिया सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आईसीपीआरडी) के प्रमुख कुमार राजीव रंजन समेत, वरिष्ठ पत्रकार व पांचजन्य के एडिटर इन चीफ हितेश शंकर, आॅथर्स गिल्ड आॅफ इंडिया के महासचिव डा. शिवशंकर अवस्थी, वरिष्ठ लेखक, समीक्षक और आॅथर्स गिल्ड आॅफ इंडिया के सदस्य डा. संदीप कुमार शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और डिफेंस एक्सपर्ट संजय सिंह, वरिष्ठ पत्रकार व उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष अजय सेतिया, डायमंड बुक्स के चेयरमैन डा. एनके वर्मा, पुस्तक के संपादक अमित कुमार समेत साहित्य जगत से जुड़े लोग मौजूद थे।

कार्यक्रम का संचालन नीवा सिंह ने किया। इस मौके पर आईसीपीआरडी के एडवाइजर मृणाल डोभाल, आईसीपीआरडी की नेशनल एडवाइजर बरखा सिंह, बीबीए के राकेश सेंगर आदि मौजूद थे। वरिष्ठ लेखक डा. सदीप कुमार शर्मा ने कहा कि किताबों की दुनिया में आम पाठक के लिए आमतौर पर ऐसी तकनीकी सीख देने वाली पुस्तकें कम ही उपलब्ध है। कुमार राजीव रंजन सिंह ने इसी कमी को दूर कर गुरुत्तर कार्य किया है। मैं तहेदिल से उन्हें बधाई देता हूं। निश्चित रूप से यह पुस्तक मील का पत्थर साबित होगी।

डा. शिवशंकर अवस्थी ने कहा कि इतनी अच्छी पुस्तक लिखने के लिए राजीव रंजन सिंह बधाई के पात्र हैं क्योंकि उन्होंने पूरे शोध कार्य के पश्चात यह रचना की है और सिल्क्यार सुरंग दुर्घटना के सभी आयामों के साथ पूर्ण न्याय किया है। यह पुस्तक भविष्य के लेखकों को निश्चित रूप से प्रेरणा देगी। संजय सिंह ने किताब के शीषर्क से लेकर इस घटना को किताब में समाहित करने के लिए लेखक की सराहना की।

उन्होंने चुस्त संपादन करने के लिए अमित कुमार की प्रशंसा की। नरेन्द्र वर्मा ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग के बीच फंसे 41 मजदूरों की हादसे को उजागर करती कुमार राजीव रंजन सिंह की पुस्तक ‘वो 17 दिन’ कई मायनों में अद्भूत है। क्यूंकि इस तरह की घटनाओं को लिपिबद्ध करने का मतलब है आशा में निराशा का बीज बोना है और यह चुनौती भरा काम कुमार राजीव रंजन सिंह ने किया है। इसके लिए उनकी तारीफ की जानी चाहिए।

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