सितंबर में भारत आ सकता है महाविनाशक युद्धपोत, पाकिस्तान और चीन की बढ़ेगी टेंशन
मॉस्को
भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए दो जहाज रूस में तैयार किए जा रहे हैं। ये तलवार क्लास के स्टील्थ फ्रिगेट जहाज हैं। 2.5 बिलियन डॉलर की लागत से इन्हें बनाया जा रहा है। रूस के कलिनिनग्राद में यह यंतर शिपयार्ड में बनाए जा रहे। पहले शिपयार्ड का नाम INS तुशिल और दूसरे का INS तमाल है। दो स्टील्थ फ्रिगेट में से पहले INS तुशि की स्वीकृति परीक्षण के लिए इंडियन नेवी के लगभग 200 कर्मी इस समय रूस में मौजूद हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो पहला जहाज सितंबर के मध्य तक भारत में आ सकता है। द प्रिंट में छपी रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए कहा गया कि तमाल अगले साल की शुरुआत में भारत को सौंपा जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि रूस के साथ समझौते के तहत गोवा शिपयार्ड में बनाए जा रहे दो और युद्धपोत प्रगति पर हैं। इसमें से भी पहला जहाज जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। दोनों जहाजों की डिलीवरी मूल रूप से 2022 के अंत में होनी थी। लेकिन कोविड संकट और यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद भुगतान न हो पाने के कारण इसमें देरी हुई है। देरी का एक खास कारण यूक्रेन के जोर्या-मशप्रोएक्ट से गैस टरबाइन इंजन की खरीद थी। 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जे के बाद यूक्रेन से इंजन आयात करना बंद कर दिया था। भारत की ओर से इसे खरीद कर रूसी शिपयार्ड को हस्तांतरित करना था, जिसके लिए भी यूक्रेन की सहमति जरूरी है।।
रूस-भारत का हुआ था समझौता
अब तक तलवार क्लास के 7 युद्धपोत बन चुके हैं. 6 एक्टिव हैं. चार नए जंगी जहाज बनाए जा रहे हैं. दो रूस में और दो भारत में बनेंगे. इन जंगी जहाजों का समंदर में डिस्प्लेसमेंट 3850 टन है. भारत ने चार तलवार श्रेणी के जहाजों के लिए रूस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौता किया था और इस डील पर 2018 में हस्ताक्षर किया गया था। समझौते के मुताबिक दो जहाज पूरी तरह रूस में बनेंगे। वहीं दो जहाज रूस के तकनीकी सहयोग से भारत के गोवा शिपयार्ड में बनाए जाएंगे। यंतर शिपयार्ड ने छह तलवार के छह एक्टिव युद्धपोतों में से तीन का निर्माण किया है।
क्या है खासियत
ये युद्धपोत समुद्र में 59 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल सकते हैं।
इस युद्धपोत पर 18 अधिकारियों के साथ 180 सैनिक 30 दिन तक समुद्र में तैनात रह सकते हैं।
यह एक स्टील्थ युद्धपोत है। यानी इसे रडार से ट्रैक करना मुश्किल है। इसमें पानी के नीचे का शोर बेहद कम होता है, जिस कारण पनडुब्बियां इनका जल्दी पता नहीं लगा सकतीं।
जहाज गैस टरबाइन इंजन के जरिए चलता है।
जहाज खतरनाक हथियारों से लैस है। इसमें जमीन से जमीन, जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल हैं। पनडुब्बी को खत्म करने के लिए इसमें टॉरपीडो ट्यूब भी लगी हैं।