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शव का पोस्मार्टम के उपरांत शव परिजनों के हवाले करने के बाद उनसे धक्के से 2 हजार की रिश्वत मांगी, भारी हंगामा

जालंधर
आम आदमी पाटी की सरकार के करप्शन खत्म के दावे को जिले का सिविल अस्पताल के अधिकारी फेल करने में तुले हुए हैं। गौर हो कि सिविल अस्पताल के पड़ोस में ही ‘आप’ विधायक रमन अरोड़ा का ऑफिस है, फिर भी करप्शन फ्री सिविल अस्पताल क्यों नही हो रहा? जानकारी के मुताबिक सिविल अस्पताल के मोर्चरी (डैड हाऊस) में एक शव का पोस्मार्टम के उपरांत शव परिजनों के हवाले करने के बाद उनसे धक्के से 2 हजार की रिश्वत ली गई। इसके बाद मोर्चरी के बाहर भारी हंगामा तक हुआ। हैरानी वाली बात है कि अस्पताल में एम.एस. के लम्बी छुट्टी के बाद गत दिन ड्यूटी ज्वाइन करते ही फिर भारी हंगामा हुआ और मौके पर कोई अधिकारी या एम.एस. रिश्वत मांगने की जानकारी हासिल करने नहीं आए।

हरप्रीत पुत्र कर्म चंद्र निवासी गांव काला बकरा ने बताया कि उनका गांव का रहने वाला युवक कुलवीर चंद्र पुत्र महिदर पाल का शव खेतों में मिला। संदिग्धावस्था में हुई मौत के कारण मामला पुलिस के पास पहुंचा और पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर सिविल अस्पताल जालंधर शव का पोस्टमार्टम करवाने भेजा। पंच हरप्रीत ने बताया कि सुबह 9 बजे वह मृतक के परिजनों सहित सिविल अस्पताल मोर्चरी पहुंचे। जहां देर शाम तक शव का पोस्टमार्टम होने के बावजूद शव उन्हें नहीं दिया गया, डैड हाऊस में एक स्टाफ ने उनसे 2 हजार रुपए मांगे। पैसे की सरकारी रसीद मांगने पर वह आनाकानी करने लगा और मोर्चरी में दरवाजा बंद कर छुप गया। पंच हरप्रीत ने बताया कि उसने कुछ मीडिया कर्मचारियों को मौके पर बुलाया उनके सामने भी रिश्वत लेने वाला बाहर नहीं निकला।

एम.एस. डॉ. गीता की गैर-जिम्मेदार डयूटी की होती सख्ती तो रिश्वतखोरी की घटना न घटती
सिविल अस्पताल सूत्रों की मानी जाए तो सिविल अस्पताल में तैनात एम.एस. (मेडिकल सुपरिंटैंडैंट) डा. गीता कटारिया की गैर-जिम्मेदार ड्यूटी के कारण ही अस्पताल के हालात खराब हो रहे हैं। इतना ही नहीं इससे मौजूदा सरकार का अक्स भी खराब हो रहा है। अस्पताल सूत्रों की मानें तो कुछ महीने पहले भी डैड हाऊस में एक वीडियो खूब वायरल हुई थी, जब एक पोस्टमार्टम के बाद शव के कफन के पैसे मृतक के परिजनों से मांगे गए। उस दौरान भी अखबारों में मामला उछला लेकिन खानापूर्ति के लिए डा. गीता ने जांच कमेटी बिठाई। इससे उक्त स्टाफ को कसूरवार ठहराकर आंखों में धूल झोंकने के लिए कुछ दिनों के लिए उसकी डयूटी बदल दी। लेकिन बाद में फिर उसके मोर्चरी में तैनात कर दिया गया और अभी तक वह मोर्चरी में ही डयूटी कर रहा है। अब सोचने वाली बात है कि ऐसे में लोगों के हौसले तो बुलंद ही होंगे।

सी.एम. भगवंत मान के लिए चैलेंज बना सिविल अस्पताल में रिश्वतखोरी रोकना
पंजाब के मुख्यमंत्री रिश्वतखोरी को लेकर पूरी तरह से सख्त हैं और हाल में ही तहसील में रिश्तवखोरी को लेकर उनके उठाया कदम लोगों ने सराहा है। लेकिन अब सिविल अस्पताल में रिश्वतखोरी को लेकर भी मान साहिब को कोई बड़ा कदम उठाने की जरूरत है क्योंकि सिविल अस्पताल उन्हें एक प्रकार का चैलेंज ही दे रहा है कि जहां रिश्वतखोरी बंद नहीं होगी। मान साहिब को चाहिए कि विजिलैंस विभाग तथा खुफिया विभाग जिसे सी.आई.डी. कहते हैं उक्त विभागों को सतर्क कर उनकी माध्यम से काली भेड़ों का पता करवाकर उन्हें रंगे-हाथों पकड़ कर जेल की सलाखों के पीछे धकेले ताकि रिश्वत लेने वाले ऐसे लोगों से लोगों को राहत मिल सके।

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