कारोबार

एआईपीईएफ ने ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी, आयात की जांच की मांग की

नई दिल्ली
 ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने  देश में विभिन्न ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी के साथ-साथ उसके आयात की स्वतंत्र जांच की मांग की।

एआईपीईएफ की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, केंद्र सरकार को बिजली उत्पादन उपयोगिताओं द्वारा कोयले के आयात की अतिरिक्त लागत वहन करनी चाहिए। इसमें कहा गया कि कुछ संस्थाओं को कोयले के बढ़ते आयात से फायदा मिल रहा है। कई बिजली उत्पादकों की मांग के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सूखे ईंधन की कीमत में वृद्धि हुई है।

एआईपीईएफ के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि जांच के संदर्भ में यह शामिल होना चाहिए कि कोयला आयात के मुख्य लाभार्थी कौन हैं। एआईपीईएफ के अनुसार, सरकार द्वारा आयातित कोयला आधारित संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाना अनिवार्य करने और घरेलू कोयला आधारित संयंत्रों को आयातित कोयले का मिश्रण चार प्रतिशत से बढ़ाकर छह प्रतिशत करने का निर्देश देने के बाद कोयले का आयात बढ़ गया है।

सरकार ने इस साल मार्च में बिजली अधिनियम की धारा 11 के तहत एक निर्देश जारी किया, जिसमें बिजली की मांग में वृद्धि और अपर्याप्त घरेलू कोयले की आपूर्ति के बीच आयातित कोयला-आधारित (आईएसबी) बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता पर काम करने के लिए कहा गया। शुरुआत में 16 मार्च से 15 जून 2023 तक के लिए आदेश जारी किया गया। बाद में इसे जून 2024 तक बढ़ा दिया गया।

एआईपीईएफ की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, कोयले के आयात की स्वतंत्र जांच की जानी चाहिए और घरेलू कोयले के साथ वैज्ञानिक मिश्रण के बिना आयातित कोयले को जलाने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए ताकि 'बॉयलर' और बिजली उत्पादन उपकरणों को नुकसान न हो।

बयान में कहा गया है कि, यदि जेनकोस (उत्पादन कंपनियों) के लिए ईंधन का आयात अनिवार्य कर दिया जाता है तो भारत सरकार को अतिरिक्त लागत वहन करनी चाहिए ताकि इसका भार डिस्कॉम (वितरण कंपनियों) और उपभोक्ताओं पर न पड़े। इसके अलावा, बिजली स्टेशन को सल्फर हटाने के लिए एक प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है क्योंकि आयातित कोयले में भारतीय कोयले से अलग, सल्फर सामग्री होती है।

बयान के अनुसार, इस बात को स्वीकार करने की हर वजह मौजूद है कि कोयला संकट वास्तव में कोयले के आयात को सक्षम करने के लिए बनाया गया न कि कोयला संकट की मजबूरियों के कारण कोयले के आयात का सहारा लिया जा रहा है। यदि कोयले का आयात आवश्यक है तो एक ही विक्रेता से कई राज्य सरकारों द्वारा स्वतंत्र आयात से खरीदारों की सौदेबाजी की क्षमता कम हो जाएगी और कोयले की लागत बढ़ जाएगी। आयातित कोयले की खरीद को केंद्रीकृत किया जाना चाहिए।

एआईपीईएफ ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के जरिए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आयातित कोयले को उचित रूप से मिश्रित किया जाए और विभिन्न संयंत्रों को उनकी आवश्यकता के अनुसार आपूर्ति की जाए। अनुचित मिश्रण 'बॉयलर' के स्वास्थ्य तथा दीर्घायु पर हानिकारक प्रभाव होते है। मिश्रित कोयले की कीमत भारतीय कोयले की कीमत के समान सिद्धांतों और आधार पर होनी चाहिए।

बयान में कहा गया है कि भारत सरकार ने विद्युत अधिनियम 2003 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया और आयातित कोयले की खरीद व उपयोग को अनिवार्य कर दिया। यह संवैधानिक प्रावधान का सरासर उल्लंघन कर किया गया। एआईपीईएफ के अनुसार, इसका परिणाम यह होगा कि जो राज्य उपयोगिताएं पहले से ही घाटे में चल रही हैं, उन्हें निजीकरण या उनकी संपत्तियों के मुद्रीकरण के लिए उपयुक्त घोषित किया जाएगा।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot
lemonadestand.online monitordepok.com portal.pramukamaros.or.id elibrary.poltektranssdp-palembang.ac.id cutihos.wikaikon.co.id pmb.umpar.ac.id industri.cvbagus.co.id ppdb.smpn1mantup.sch.id taqwastory.sma1bukitkemuning.sch.id media.iainmadura.ac.id omedia.universitasbumigora.ac.id pik.omedia.universitasbumigora.ac.id https://threadsofhopetextiles.org/bekleng/indexing/