जीवन में लगभग हर बाघ को कभी ना कभी घास खानी पड़ती है, घास खाता दिखाई दिया बाघ
उमरिया
जिस किसी ने भी यह कहा है कि चाहे बाघ कितना भी बूढ़ा क्यों ना हो जाए वह घास कभी नहीं खाता, यह झूठ कहा है। दरअसल बाघ भी घास खाता है और यह कोई नई बात नहीं है। अपने जीवन में लगभग हर बाघ को कभी ना कभी घास खानी पड़ती है। बाघ का घास खाना उसकी मजबूरी नहीं है, उसकी आवश्यकता है। बाघ की इसी तरह की आवश्यकता का एक वीडियो इन दोनों बांधवगढ़ से वायरल हुआ है। बांधवगढ़ के जंगल में एक बाघ को घास खाता हुआ देखा गया और पर्यटकों ने उसका वीडियो बना लिया। यह वीडियो सोशल वीडियो पर जमकर वायरल हो रहा है और काफी चर्चा में भी है। दावा यह किया जा रहा है कि यह वीडियो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बनाया गया है, लेकिन इसे बनाने वाले पर्यटक के बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
नाले के ऊपर बैठा है बाघ
वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि एक बाघ नाले के ऊपर किनारे पर बैठा हुआ है और वहां की लंबी घासो को खा रहा है। बाघ का इत्मीनान के साथ घास को खाता हुआ दिखाई पड़ना लोगों के लिए आश्चर्यजनक हो सकता है, लेकिन दरअसल यह बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है। दरअसल लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि बाघ भी घास खाता है। असल में लोग बाघ को सिर्फ हिंसक प्राणी ही समझते हैं और यह मानते हैं कि वह सिर्फ मांस से ही खाता है। जबकि ऐसा नहीं है, आवश्यकता पड़ने पर बाघ भी घास खाता है और सिर्फ बाघ ही नहीं धरती पर उत्पन्न होने वाले सभी जानवर आवश्यकता पड़ने पर घास जरूर कहते हैं।
घास है पेट का उपचार
दरअसल जंगल में रहने वाले वन प्राणी जब बीमार होते हैं तो वह अपना उपचार वनस्पतियों में ही तलाशते हैं। जंगली जानवरों को भी इस बात का ज्ञान होता है कि किस तरह की तकलीफ में उन्हें कौन सी घास या कौन सी वनस्पति खानी है। वीडियो में घास खाता हुआ दिखाई दे रहा बाघ इसलिए घास खा रहा है क्योंकि उसका पेट खराब हो गया है। पेट खराब होने पर बाघ अक्सर घास खाते हैं और घास खाने के बाद उल्टी कर देते हैं।
उल्टी करने से उनके पेट का सारा कचरा बाहर आ जाता है और उन्हें आराम मिल जाता है। इस बारे में जानकारी देते हुए वन्य प्राणी विशेषज्ञ निमिष स्वामी ने बताया कि जंगल में रहने वाले जानवर अक्सर अपने उपचार के लिए इसी तरह घास खाते हैं। उन्होंने बताया कि सिर्फ घास ही नहीं कई अन्य तरह की वनस्पतियों का उपयोग भी वन्य प्राणी करते हैं। यहां तक कि वन्य प्राणियों को जब ब्रेन अटैक होता है या उन्हें लकवा लगता है तब भी वे हाडिल नाम का एक पौधे के पत्ते खा लेते हैं जिससे उनकी तबीयत में सुधार होने लगता है।