हमेशा सदकर्म करिए और फल भगवान पर छोडं़े : स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज
टीम एक्शन इंडिया
राजकुमार प्रिंस
करनाल। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा है कि यह शरीर पूरी तरह से नश्वर है तथा मौत की कोई दवा नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक इंसान को जीने का मौका मिलता है, तब तक उसे प्रभु भक्ति लीन ही रहना चाहिए। क्योंकि मुक्ति का केवल एक ही मार्ग है और वह प्रभु सिमरण।
वह आज पत्रकार फतेह चंद चावला के अचानक निधन पर उनके निवास पर परिवार को ढांढस बंधाने आए थे तथा उन्होंने वहां पर मौजूद लोगों को भक्ति का मार्ग दिखाते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत गीता इंसान के जीने का सार है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के माध्यम से ही प्रत्येक मनुष्य का जीने का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने कहा कि इंसान को अहंकार में कभी आना नहीं चाहिए। अहंकार बुद्धि को हर लेता है और बुद्धि को हरने के बाद इंसान का विवेक खत्म हो जाता है। यही विलुप्त होने का मुख्य कारण है।
उन्होंने कहा कि अपने जीते जी इंसान को सद्गुरुओं की शरण में ही रहना चाहिए। सद्गुरु की शरण में रहने पर जीवन के प्रकाश का हमेशा उदयमान होता है, क्योंकि गुरु अपने शिष्य को कभी भी भटकने नहीं देते। यदि वह भटक भी जाए तो गुरु शिष्य को प्रभु की राह पर ले आता है।