धर्म-आस्था

धनतेरस पर 50 साल बाद यम पंचक शिववास का अद्भुत संयोग

नई दिल्ली.

दीपावली से पहले धनतेरस (धन्वंतरि जयंती) पर इस बार 50 वर्षों के बाद यम पंचक शिववास का अद्भूत संयोग बन रहा है। पंडित रामदेव पांडेय के अनुसार, धनतेरस 10 नवंबर को राजधानी समेत विभिन्न जगहों पर मनाया जाएगा। वहीं, 11 नवंबर को छोटी दिवाली होने के कारण खरीदारी का सुखद संयोग बन रहा है।

इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग भी है। पंडित रामदेव पांडेय का कहना है कि यम पंचक शिववास का अद्भूत संयोग इस बार धनतेरस के दिन को काफी खास बना दिया है। इस दिन माता लक्ष्मी के सात कालों के काल महाकाल शिव की पूजा होगी। इस दिन विशेष धातू के रूप में चांदी खरीदना काफी शुभ माना जा रहा है।
यदि एक धातू खरीदनी हो तो सलाह दी जा रही है कि इस दिन यथाशक्ति केवल चांदी की खरीद करें। इससे माता महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी। इस दिन चांदी की खरीद से 13 गुना लाभ होगा। यम पंचक शिववास होने से भगवान भोलेनाथ की कृपा भी भक्तों पर बरसेगी।

झाड़ू भी खरीदने का है विधान
धनतेरस के दिन अधिकांश लोग गहना, आभूषण और पूजा के कार्य में प्रयुक्त होनेवाले तांबा, पीतल और कांसे के बर्तन की खरीद करते हैं। घरेलू कामकाज और घर-गृहस्थी में उपयोग होनेवाली लगभग सभी वस्तुओं की खरीदारी होती है। इस दिन कोई भी चल या अचल संपत्ति की खरीदारी लाभदायी होता है। विशेषकर इस दिन झाड़ू खरीदने का भी विधान और पंरपरा है।

10 को धनतेरस, 11 को खरीदारी का सर्वार्थ सिद्धि व शिव योग
पंडित रामदेव पांडेय बताते हैं कि 10 नवंबर को त्रयोदशी का दिन 1147 बजे से शुरू हो रहा है। इस दिन सभी तरह की खरीदारी की जाती है। इस दिन वृषभ लग्न में दीपावली की तरह ही श्रीगणेश-लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि एवं कुबेर की शुभ, अमृतकाल और चर चौघड़या में पूजा का विधान है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दिन धन्वंतरि जी स्वर्ण कलश के साथ इस सृष्टि में प्रकट हुए थे। इस उपलक्ष्य में धनतेरस मनाया जाता है। धन्वंतरि जयंती का आयुर्वेद से भी गहरा संबंध है। इस दिन संध्या में तिल तेल का दीपक घर से बाहर अपने आवास की दक्षिणी तरफ दक्षिण मुख जला कर यमदेव के लिए दान करें। वहीं, उन्होंने यह भी बताया कि 11 नवंबर को छोटी दिवाली होने के कारण इस दिन खरीदारी का सुखद संयोग बन रहा है।

इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग भी इस दिन है-
– माता लक्ष्मी के साथ शिव भगवान का भी होगा पूजन
– तिल का तेल जलाकर यमदेव को करें दान
– धन्वंतरि जी स्वर्ण कलश के साथ सृष्टि में प्रकट हुए थे

क्या करें
– धन्वंतरि और कुबेर की पूजा
– अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 1123 से 1245 बजे तक
– प्रदोष काल – संध्या 510 से 940 बजे तक
– वृषभ लग्न – 521 से 718 बजे तक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot
lemonadestand.online monitordepok.com portal.pramukamaros.or.id elibrary.poltektranssdp-palembang.ac.id cutihos.wikaikon.co.id pmb.umpar.ac.id industri.cvbagus.co.id ppdb.smpn1mantup.sch.id taqwastory.sma1bukitkemuning.sch.id media.iainmadura.ac.id omedia.universitasbumigora.ac.id pik.omedia.universitasbumigora.ac.id https://threadsofhopetextiles.org/bekleng/indexing/ metro.jrs.or.id sim.kotaprabumulih.go.id web.sip.pn-kotaagung.go.id