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अम्बेडकर भारतीय संविधान के रचनाकार: पूज्य साधु मुनिवत्सल दास

टीम एक्शन इण्डिया/ कुरुक्षेत्र (दलबीर मलिक)
अक्षरधाम, नई दिल्ली के पूज्य साधु मुनिवत्सल दास जी ने कहा कि राष्ट्र में समरसता का भाव लाने में डॉ. अम्बेडकर का पुरुषार्थ था जिन्होंने दलित एवं आमजन के उत्थान के लिए सुदृढ़ सामाजिक न्याय व्यवस्था स्थापित करने के लिए भारतीय संविधान का निर्माण किया। डॉ. अम्बेडकर भारतीय संविधान के रचनाकर एवं सूत्रधार थे तथा वे समाज के पिछडे़, अस्पृश्य एवं दलितों के उत्कर्ष के लिए आगे आए। वे बुधवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डॉ. भीमराव अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र तथा बीएपीएस स्वामी नारायण शोध संस्थान, अक्षरधाम, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ह्यडॉ. बीआर अम्बेडकर: भारतीय संविधान के निमार्ताह्ण विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के शुभारम्भ अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्यातिथि पूज्य साधु मुनिवत्सल दास जी, कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, विशिष्ट अतिथि कुवि कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, विशिष्ट अतिथि श्री कृष्णा आयुष यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ. नरेश भार्गव, मुख्य वक्ता डॉ. शिव पूजन पाठक डॉ. अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार, केंद्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद तथा कार्यक्रम के संयोजक, केन्द्र के सहायक निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

पूज्य साधु मुनिवत्सल दास जी ने कहा कि समाज की न्यायिक व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए भारतीय संविधान राष्ट्र का ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर के मन में आध्यात्मिक एवं धर्म चिंतन के द्वारा ही समता, योग्य न्याय का भाव आया। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता को स्थापित करने में धर्म और अध्यात्म का योगदान ही सनातन धर्म का उद्देश्य है इसलिए संविधान के साथ अध्यात्म चिंतन को भी साथ लेकर चलना जरूरी है। इसके साथ उन्होंने उन्नत एवं श्रेष्ठ भारत के निर्माण में अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों को भी निष्ठा से निर्वहन करने की बात कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने स्वतंत्र एवं स्वावलंबी आत्मनिर्भर भारत की नींव रखने का महत्वपूर्ण कार्य किया।

डॉ. अम्बेडकर ने तीन साल गहन अध्ययन करने और 40 देशों के संविधान को पढ़ने के बाद भारत के लिए एक सुदंर संविधान की रचना की। कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि केयू ने प्रदेश एवं देश में एनईपी 2020 को सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के यूजी एवं संबंधित लगभग 290 कॉलेजों के यूजी प्रोग्राम्स में इसे सभी प्रावधानों के साथ लागू किया है। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर के अनुसार भाग्य को बदलने का एकमात्र सहारा शिक्षा है तथा महिलाओं की प्रगति एवं उन्नति में ही समाज की उन्नति निहित हैं। डॉ. अम्बेडकर ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए मातृत्व अवकाश, मतदान का अधिकार एवं हिन्दू कोड बिल लाने का कार्य किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार डॉ. शिव पूजन पाठक ने कहा कि हर पीढ़ी अपने ढंग से अपने मूल्यों को निर्माण करने की कोशिश करती है। इसलिए हर पीढ़ी को यह बताना जरूरी है कि उनके मुख्य काम किसने किए हैं। संविधान के मुख्य निमार्ता डॉ. अम्बेडकर हैं तथा उन्होंने अंतिम क्षण तक राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखकर देश के हित में कार्य किया और राष्ट्र प्रेम के कारण संविधान का निर्माण किया।

विशिष्ट अतिथि श्री कृष्णा आयुष यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ. नरेश भार्गव ने कहा कि भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म अनादि एवं अनंत है तथा इसी प्रकार भारतीय संविधान की मूलभूत संरचना में सनातन धर्म का योगदान रहा है। भारत का संविधान लचीला व कठोर है व संविधान के कुछ हिस्से अंर्तनिहित है कि उनमें कुछ भी संशोधन नहीं किया जा सकता। केन्द्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा केन्द्र द्वारा संचालित कंप्यूटर एवं विभिन्न कोर्सों की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि भविष्य में केन्द्र द्वारा डॉ. बीआर अम्बेडकर की विचारधारा एवं दर्शन को गांव-गांव जाकर प्रचार-प्रसार किया जाएगा। कार्यक्रम में मंच का संचालन करते हुए कार्यक्रम के संयोजक एवं केन्द्र के सहायक निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह ने सभी अतिथियों का परिचय करवाया।

इस अवसर पर कुवि कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, आयुष विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. नरेश भार्गव, डॉ. सुनील भारती, संत मंगलदास जी सहित अन्य संत, डॉ. बीआर अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद, सहायक निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह, प्रो. सीआर जिलोवा, प्रो. महाबीर रंगा, डॉ. आनन्द कुमार, डॉ. कुलदीप सिंह, डॉ. सोमवीर जाखड़, डॉ. रमेश सिरोही, डॉ. पवन कुमार, डॉ. अजय जांगड़ा, डॉ. वीरेन्द्र पाल, डॉ. तेलू राम, डॉ. दिविज गुगनानी व डॉ. संगीता धीर सहित शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद थे।

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