हिमाचल प्रदेश

‘अंजना के संघर्ष और सफलता की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा’

टीम एक्शन इंडिया/ मंडी/ खेमचंद शास्त्री
एक गंभीर दुर्घटना का शिकार होकर कॉलेज की पढ़ाई के दौरान अपना दाया हाथ गंवा देने वाली बीपीएल परिवार की बेटी अंजना ठाकुर ने हिम्मत नहीं हारी और बाएं हाथ से लिखना सीखकर आज बॉटनी की असिस्टेंट प्रोफेसर बन गई। वह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रही है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी बंसल ने उसे बधाई देते हुए कहा कि अंजना के संघर्ष और सफ लता की कहानी सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है। दिव्यांगों के लिए कार्य कर रही संस्था उमंग फ ाउंडेशन के अध्यक्ष और राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य अजय श्रीवास्तव ने बताया कि अंजना ठाकुर मंडी जिले के करसोग स्थित पाँगना के गांव गोड? के हंसराज और चिंतादेवी की बेटी है। राज्य लोक सेवा आयोग ने उसका चयन कॉलेज कैडर में बॉटनी की असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर किया है। आयोग ने बुधवार को परिणाम घोषित किया। पिछले वर्ष विश्वविद्यालय में राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने अंजना ठाकुर को पूर्व छात्र सम्मेलन में उसकी उपलब्धियां के लिए सम्मानित भी किया था।अंजना की मां चिंतादेवी कहती हैं की बेटी ने इतनी बड़ी सफलता प्राप्त करके पूरे परिवार का नाम रोशन किया।

बहन के लिए खुद की पढ़ाई कुर्बान करने वाले भाई गंगेश कुमार को भी अंजना पर गर्व है। प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से लेने के बाद मेधावी छात्रा अंजना ठाकुर जब वर्ष 2016 में करसोग कॉलेज से बीएससी ;द्वितीय वर्षद्ध कर रही थी तो बिजली का करंट लगने से बुरी तरह घायल हो गई। कई महीने तक शिमला के आईजीएमसी अस्पताल और फिर पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती रहने के बाद उसका दाहिना बाजू काट दिया गया जिससे वह लिखती थी। हमेशा उच्च प्रथम श्रेणी में पास होने वाली अंजना ठाकुर प्रोफेसर बनने का सपना आंखों में संजोए हुए थी। उसके लिए यह बहुत बड़ा सदमा था। परिवार सामाजिक दबाव में उसे 12वीं के बाद आगे पढ़ाने की बजाय शादी कर देना चाहता था लेकिन उसकी पढ?े की जिद के आगे सभी को झुकना पड़ा। अपना सपना पूरा करने के लिए अंजना ने अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान ही बाएं हाथ से लिखना सीखा। अस्पताल से छुट्टी के बाद फि र उसी कॉलेज में दाखिला लिया और बहुत अच्छे अंकों से बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। उसके बड़े भाई गंगेश कुमार ने बहन को पढ़ाकर आगे बढ़ाने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी और घर की आर्थिक मदद करने के लिए पेंटर का काम शुरू किया। एमएससी बॉटनी में प्रवेश लेने के बाद तो उसके हौसलों को पंख लग गए। उसने पहले ही प्रयास में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद सीएसआईआर की अत्यंत कठिन जूनियर रिसर्च फैलोशिप जेआरएफ परीक्षा भी पास कर ली। वर्तमान में वह प्रदेश विश्वविद्यालय के बायो साइंसेज विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ धीरज रावत के निर्देशन में पीएचडी कर रही है। इसके साथ ही उमंग फ ाउंडेशन के रक्तदान समेत सभी सामाजिक कार्यों में बढ़-चढकर हिस्सा लेती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button