
बरेली में ‘आई लव मोहम्मद’ मुहिम पर गिरफ्तारी, जालंधर में दो समुदायों के बीच बढ़ा तनाव
जालंधर
पंजाब के जालंधर में शुक्रवार को दो समुदायों के सदस्यों के बीच झड़प हो जाने से तनाव पैदा हो गया। यह झड़प उस समय हुई जब एक समूह ‘आई लव मोहम्मद’ मुहिम को लेकर उत्तर प्रदेश के बरेली में की गई गिरफ्तारियों के संबंध में प्राधिकारियों को ज्ञापन सौंपने गया था। पुलिस ने बताया कि यह घटना उस समय हुई जब एक समुदाय के सदस्यों ने एक संगठन के बैनर तले एकत्र होकर ‘आई लव मोहम्मद’ मुहिम के सिलसिले में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा बरेली में की गई गिरफ्तारियों के विरोध में मार्च निकाला। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनमें एक स्थानीय मौलवी भी शामिल है।
धार्मिक नारे लगाने का आरोप
मार्च निकालने के बाद जब समूह पुलिस आयुक्त को ज्ञापन सौंपने के लिए एकत्र हुआ तो दूसरे समुदाय के स्कूटर सवार एक युवक से उनकी बहस हो गई। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि युवक ने धार्मिक नारे लगाए जबकि युवक का आरोप है कि उसे रोका गया, उसके साथ मारपीट की गई और उसके स्कूटर की चाबी छीन ली गई तथा बाद में उसे स्थानीय लोगों ने बचाया। बाद में शाम को हिंदू समुदाय के कुछ स्थानीय नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया।
परगट सिंह ने शांति एवं भाईचारा की अपील की
पुलिस ने गलत तरीके से रोके जाने, जानबूझकर चोट पहुंचाए जाने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से की गई कार्रवाई जैसे अपराधों के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ युवक के बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की। इस घटना के बाद जालंधर छावनी से कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने सभी समुदायों से शांति एवं भाईचारा बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि पंजाब में लोग हमेशा सद्भाव से रहे हैं और किसी को भी इस एकता को भंग करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने सभी से प्रशासन के साथ सहयोग करने और शांति सुनिश्चित करने का आग्रह करते हुए कहा कि इस घटना के संबंध में कानून को अपना काम करने दें।
क्या है "आई लव मुहम्मद" अभियान?
"आई लव मुहम्मद" (I Love Muhammad) एक हालिया सामाजिक और धार्मिक अभियान है, जो भारत में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ। यह मुसलमानों द्वारा पैगंबर मुहम्मद के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम व्यक्त करने का एक शांतिपूर्ण तरीका है, जो पोस्टर, बैनर, सोशल मीडिया पोस्ट और जुलूसों के माध्यम से फैलाया जा रहा है। यह अभियान सितंबर 2025 में कानपुर में एक बरावाफत (ईद-ए-मिलाद-उन-नबी) जुलूस के दौरान शुरू हुआ, जब कुछ लोगों ने "आई लव मुहम्मद" के बैनर लगाए।
4 सितंबर 2025 को कानपुर के लल्लापुरा इलाके में एक जुलूस के दौरान 15-20 लोगों ने "आई लव मुहम्मद" के पोस्टर लगाए और नारे लगाए। पुलिस ने इसे ट्रैफिक बाधित करने और शांति भंग करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की। इससे विवाद बढ़ा। खबर फैलने के बाद, देशभर के कई शहरों जैसे बरेली, लखनऊ, उनाव, बरबंकी, मऊ, नागपुर, हैदराबाद आदि में मुसलमानों ने इस अभियान को अपनाया।
बरेलवी धर्मगुरु मौलाना तौकीर रजा खान (इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख) ने इसे समर्थन दिया और विरोध प्रदर्शनों का आह्वान किया। 26 सितंबर 2025 को बरेली में जुमे की नमाज के बाद एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसमें पुलिस पर पथराव हुआ। पुलिस ने लाठीचार्ज किया, घर-घर छापेमारी की, और 72 से अधिक गिरफ्तारियां कीं। तौकीर रजा सहित 8 लोगों को हिरासत में लिया गया। बरबंकी और मऊ में भी बैनर फाड़े जाने पर तनाव बढ़ा। कुल 21 एफआईआर दर्ज हुईं, जिसमें 1,300 से अधिक लोग नामजद।