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अवतार: फायर एंड ऐश रिव्यू – जबरदस्त विजुअल्स और टेक्नोलॉजी, लेकिन कहानी में नहीं दिखी आग

लॉस एंजिल्स

'अवतार: फायर एंड ऐश' जेम्स कैमरून की अवतार सीरीज तीसरी फिल्म है, इससे पहले 'अवतार' (2009) और 'अवतार: द वे ऑफ वॉटर' (2022) को ऑडियंस का अच्छा रिस्पॉन्स मिला था। इस फिल्म को लेकर लोगों में काफी उम्मीदें थीं, क्योंकि अवतार का नाम आते ही बड़ी फिल्म, नई दुनिया और शानदार तकनीक का खयाल आता है। फिल्म का स्केल बहुत बड़ा है और यह देखने में भी काफी महंगी और भव्य लगती है। लेकिन पूरी फिल्म देखने के बाद ऐसा लगता है कि तकनीक और विजुअल्स के अलावा बाकी चीजों पर उतना ध्यान नहीं दिया गया।

फिल्म की कहानी एक बार फिर इंसानों और पैंडोरा की दुनिया के बीच टकराव पर आधारित है। इस बार कहानी फायर एंड ऐश इलाके में जाती है, जहां आग, राख और ज्वालामुखी से जुड़ा माहौल दिखाया गया है। शुरुआत में यह जगह नई और अलग लगती है और ऑडियंस को थोड़ा उत्सुक भी करती है। लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, कहानी वही जाना-पहचाना रास्ता पकड़ लेती है। कई जगह ऐसा लगता है कि कहानी में कोई बड़ा मोड़ आने वाला है, लेकिन ज्यादातर घटनाएं पहले से ही समझ में आने लगती हैं। इसी वजह से फिल्म का रोमांच धीरे-धीरे कम होता जाता है। कहानी में नयापन बिल्कुल महसूस नहीं होता है और कई बार लगता है कि वही पुरानी बातों को थोड़ा बदलकर दिखाया जा रहा है।

स्क्रीनप्ले और प्लॉट
फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी फैला हुआ है। कई सीन ऐसे हैं जिनसे कहानी में कोई खास फर्क नहीं पड़ता। कुछ जगह फिल्म बहुत धीमी लगती है …कुछ जगह अचानक तेज हो जाती है। अगर फिल्म को छोटा किया जाता और गैर-जरूरी सीन हटा दिए जाते, तो शायद कहानी अच्छी बन सकती थी। प्लॉट में कुछ नया आइडिया नहीं था। कई जरूरी सीन जल्दी खत्म हो जाते हैं, जबकि कुछ कम जरूरी सीन काफी देर तक चलते रहते हैं। इससे फिल्म की पकड़ ढीली पड़ जाती है।

जेक सुली का किरदार निभाने वाले अभिनेता सैम वर्थिंगटन के एक्सप्रेशन इस फिल्म में ज्यादा बदलते हुए नहीं दिखते। उनके किरदार का व्यवहार और उसके लिए गए फैसले पहले जैसे ही हैं। ऑडियंस को यह महसूस नहीं होता कि उनका किरदार किसी नई सिचुएशन से गुजर रहा है या कुछ नया सीख रहा है। ऐसे में उनका अभिनय पिछली दो फिल्मों जैसा ही रहा। नेयतिरी के रोल को भी इस पार्ट में सीमित ही रखा गया है। वह ज्यादातर गुस्से या दुख की स्थिति में ही दिखाई देती है। यह किरदार अभिनेत्री जोई सलडाना ने निभाया और उनका काम भी पहले जैसा ही है। वहीं इस पार्ट में एंट्री की है ओना चैपलिन ने, जिन्हाेंने फिल्म की मुख्य विलन वारंग का किरदार निभाया है। उनका काम ठीक-ठाक है। नए किरदार फिल्म में आते तो हैं, लेकिन उनमें भी ऐसी कोई खास बात नहीं कि ऑडियंस उनसे जुड़ सके।

तकनीक और विजुअल्स
फिल्म का सबसे मजबूत हिस्सा इसकी तकनीक है। जेम्स कैमरून ने इस बार भी टेक्नोलॉजी के मामले में कोई कमी नहीं छोड़ी है। CGI बहुत साफ और डिटेल में है। पैंडोरा की दुनिया, खासकर फायर एंड ऐश वाला इलाका, देखने में अलग और प्रभावशाली लगता है। आग, राख, ज्वालामुखी और टूटे-फूटे इलाकों को जिस तरह दिखाया गया है…. वह बड़े पर्दे पर अच्छा असर डालता है। कई सीन ऐसे हैं जहां सिर्फ विजुअल्स देखने में ही मजा आता है। कैरेक्टर और उनके आसपास का माहौल अच्छी तरह से ब्लेंड होता है, जिससे सब कुछ रियल-सा लगता है।

सिनेमैटोग्राफी भी मजबूत है। कैमरा मूवमेंट स्मूथ है और एक्शन सीन साफ दिखते हैं। हर फ्रेम में डिटेल पर ध्यान दिया गया है, जिससे फिल्म विजुअली रिच लगती है। 3D और बड़े स्क्रीन पर फिल्म देखने का अनुभव और भी बेहतर हो जाता है। हालांकि, एक बात यहां खटकती है। कई बार ऐसा लगता है कि तकनीक को कहानी से ज्यादा महत्व दिया गया है। कुछ सीन सिर्फ इसलिए लंबे लगते हैं ताकि विजुअल्स दिखाए जा सकें। कुल मिलाकर, तकनीकी स्तर पर फिल्म काफी मजबूत फिल्म है। CGI, विजुअल्स और कैमरा वर्क इसे देखने लायक बनाते हैं, भले ही कहानी उस स्तर तक न पहुंच पाए।

कमियां
फिल्म की लंबाई एक बड़ी समस्या है। यह जरूरत से ज्यादा लंबी लगती है। एक्शन सीन बार-बार आते हैं और कुछ समय बाद एक जैसे लगने लगते हैं। इससे फिल्म बीच-बीच में थकाने वाली महसूस होती है। फिल्म पर्यावरण बचाने का मैसेज देती है, जो सही बात है। लेकिन इसे बहुत लंबे तरीके से दिखाया गया है।

पिछली फिल्मों से तुलना
पहली अवतार ने ऑडियंस को पैंडोरा की नई दुनिया से जोड़ा था और द वे ऑफ वॉटर ने उस दुनिया में इमोशंस और परिवार के पहलू को आगे बढ़ाया था। फायर एंड ऐश में वह ताजगी और इमोशनल जुड़ाव कम महसूस होता है। जहां पिछली फिल्मों में कहानी और दुनिया एक-दूसरे को सहारा देती थीं… वहीं यहां ज्यादातर बोझ विजुअल्स पर डाल दिया गया है।

देखे या नहीं?
अवतार: फायर एंड ऐश देखने में भले ही शानदार हो, लेकिन कंटेंट के मामले में यह औसत फिल्म लगती है। जो लोग सिर्फ बड़े विजुअल्स और तकनीक देखने जाते हैं, उन्हें यह फिल्म ठीक लग सकती है। लेकिन जो लोग नई और मजबूत कहानी, अच्छे किरदार और इमोशंस की उम्मीद करते हैं, उनके लिए यह फिल्म थोड़ी निराशाजनक हो सकती है।

 

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