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गुना बस हादसे के चलते संजय झा को हटाने के बाद से पोस्टिंग का इंतजार
भोपाल
परिवहन आयुक्त का पद एक माह से खाली है। इस पद पर चार आईपीएस अफसरों के नाम पोटिंग के लिए चर्चा में हैं। ये चारों ही अफसर एडीजी रैंक के हैं। रविवार को डेढ़ दर्जन आईएएस अफसरों के हुए तबादले के बाद यह सुगबुगाहट तेज हो गई है कि जल्द ही परिवहन आयुक्त के पद पर भी आईपीएस अफसर को पदस्थ किया जाएगा।
इधर यह भी चर्चा जोरों पर है कि प्रदेश में संचालित हो रही परिवहन चौकियों को बंद करने के प्रस्ताव पर जल्द ही निर्णय हो सकता है। गौरतलब है कि पिछले महीने दिसंबर में गुना में बस हादसा हुआ था, जिस हादसे के चलते मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सख्त तेवर दिखाते हुए परिवहन आयुक्त संजय झा को यहां से हटा दिया था। स्पेशल डीजी झा वर्ष 1989 के आईपीएस अफसर हैं।
इन अफसरों के नाम हैं चर्चा में
परिवहन आयुक्त का पद 28 दिसंबर से खाली है। पूरे एक महीने का समय बीत जाने के बाद भी इस पद पर अब तक किसी भी अफसर की पोस्टिंग नहीं की गई है। इस पद के लिए एडीजी रेंक के चार अफसरों के नाम चर्चा में हैं। जिसमें वर्ष 1991 के एडीजी उपेंद्र जैन का नाम शामिल हैं। जैन पूर्व में भी परिवहन विभाग में पदस्थ रह चुके हैं। जैन अभी पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन में संचालक के पद पर पदस्थ हैं।
वहीं वर्ष 1992 बैच के एडीजी पवन श्रीवास्तव का नाम को लेकर भी चर्चा है। पवन श्रीवास्तव एडीजी विजलेंस के पद पर पुलिस मुख्यालय में पदस्थ हैं। एडीजी सायबर सेल योगेश देशमुख के नाम की सुगबुगाहट इस पद को लेकर चल रही है। योगेश देशमुख 1995 बैच के अफसर हैं। हालांकि वे प्रतिनियुक्ति पर जाने के प्रयास में हैं। इन तीन अफसरों के नाम के साथ एक और अफसर के नाम की चर्चा तेजी से चल रही है। ये एक बड़े पुलिस रेंज में एडीजी के पद पर पदस्थ हैं। इनका कार्यकाल अधिकांश विंध्य और महाकौशल में रहा है। ये चंबल क्षेत्र में भी पदस्थ रह चुके हैं।
इधर प्रस्ताव कई महीनों से है अटका
प्रदेश में परिवहन चौकियों को बंद करने का प्रस्ताव भी राज्य शासन के पास लंबित है। प्रदेश की सीमाओं पर संचालित होने वाली 47 परिवहन चेक पोस्ट को बंद करने का निर्णय 8 अगस्त 2022 को हुई बैठक में तत्कालीन परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत की मौजूदगी में हुआ था। प्रदेश में सभी परिवहन चेक पोस्ट को बंद कर गुजरात मॉडल लागू करने का निर्णय लिया गया था। सभी चेक पोस्ट को बंद कर 14 दिसंबर तक गुजरात माडल लागू किया जाना था। इसके लिए जरूरी उपकरण जुटाने के लिए कुछ महीनों का समय लिया गया था। यह प्रस्ताव अभी शासन के पास लंबित है।