टिकट छिन जाने के डर से बैज खीझ रहे हैं : भाजपा प्रदेशाध्यक्ष
रायपुर
महतारी वंदन योजना में घोटाले का आरोप लगाकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज दरअसल प्रत्याशी के तौर पर अपनी दावेदारी छिन जाने के डर से उपजी खीझ का प्रदर्शन कर रहे हैं। । भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने कहा है कि तीन माह में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश की भाजपा सरकार जिस तेज गति से मोदी की गारंटी पूरी कर रही है, वह अपने आपमें मिसाल है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बैज को यह हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि जनता के हित के पैसों पर डाका डालकर घपले-घोटाले करने वाली कांग्रेस की पिछली सरकार को जनता ने उसकी सही जगह दिखा दी है।
देव ने कहा कि महतारी वंदन योजना को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने तथ्यों से परे जाकर जो मिथ्या प्रलाप किया है, उस झाँसे में प्रदेश की मातृ-शक्ति और जनता जनार्दन कतई नहीं आने वाली है क्योंकि प्रदेश की जनता को भाजपा के भ्रष्टाचारमुक्त शासन-प्रशासन और मोदी की गारंटी पर अटूट विश्वास है, और यही विश्वास प्रदेश की सभी 11 लोकसभा सीटों पर भाजपा की जीत सुनिश्चित कर चुकी है। श्री देव ने मिसाल देते हुए कहा कि जिस प्रकार पीलिया के मरीज को हर चीज पीली ही नजर आती है, ठीक उसी प्रकार भ्रष्टाचार और हर सरकारी योजना में घपला-घोटाला करने वाली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बैज को भाजपा की योजना में घोटाला ही नजर आ रहा है। बैज को तुरंत अपनी इस बीमारी का इलाज कराने पर ध्यान देना चाहिए। तथ्यहीन आरोप लगाकर अपनी और कांग्रेस की राजनीतिक सेहत से खिलवाड़ करना बैज को शोभा नहीं देता।
उन्होंने कहा कि दरअसल कांग्रेस में टिकट को लेकर जैसा घमासान मचा हुआ है, उससे अपनी दावेदारी छिन जाने की खीझ में ऊलजलूल बयान देकर अपने शीर्ष नेतृत्व की नजर में बने रहने की फिजूल कवायद बैज कर रहे हैं। कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा प्रवेश का जैसा सिलसिला प्रदेश में चल रहा है, उससे भी बदहवास कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष खुद को असहाय पा रहे हैं। अपना घर जिनसे सम्हल नहीं रहा है, वह भाजपा की नीति और नीयत पर सवाल उठाने का हास्यास्पद उपक्रम कर रहे हैं। श्री देव ने कहा कि भाजपा ने काफी पहले ही प्रदेश के सभी संसदीय क्षेत्रों के लिए उम्मीदवार घोषित कर एक बार फिर अंतर्कलह, हताशा और पराजित मनोबल से जूझती कांग्रेस के लिए कड़ी चुनौती पेश की है। बैज भी मिथ्या प्रलाप करने के बजाय हताशा और पराजित मनोबल के साथ छत्तीसगढ़ में अपनी आखिरी साँसें गिनती कांग्रेस की चिंता करें।