राष्ट्रीय

ई-सिगरेट पर प्रतिबंध , फिर ऑनलाइन स्टोर्स और लोकल वेंडर्स से कैसे मिल रही?

नई दिल्ली
 UGC ने सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के सामने एक बड़ा सवाल उठाते हुए पत्र लिखा है कि बैन के बावजूद ई-सिगरेट और अन्य ऐसे प्रॉडक्ट छात्रों को आसानी से कैसे मिल जाते हैं? UGC ने उच्च शिक्षा संस्थानों को स्पेशल ड्राइव चलाकर औचक निरीक्षण करने को भी कहा है, साथ ही छात्रों के लिए जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। UGC ने कहा है कि ई-सिगरेट के खतरों के बारे में छात्रों को जानकारी दी जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कैंपस में इसका प्रयोग न होने पाए। UGC के सचिव प्रो. मनीष आर जोशी ने देश के सभी वाइस चांसलर और कॉलेजों के प्रिंसिपल्स को पत्र लिखकर जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

ऑनलाइन स्टोर्स और लोकल वेंडर्स पर मिल जाती है ई सिगरेट
देश में ई-सिगरेट पर बैन 2019 से प्रभावी है और उस समय यह अधिनियम लाया गया था। UGC ने इसी अधिनियम का हवाला देते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने ई-सिगरेट और इस जैसे उत्पादों की बिक्री, स्टोरेज और विज्ञापन पर बैन लगाया हुआ है, लेकिन संज्ञान में आया है कि ऑनलाइन स्टोर्स और लोकल वेंडर्स के जरिए यह मिल जाती है। यह भी पता चला है कि शिक्षण संस्थानों के आसपास कई वेंडर्स और स्टेशनरी स्टोर्स की मिलीभगत से भी छात्रों को ई-सिगरेट मिल जाती है और यह बड़ी चिंता का विषय है। छात्रों को आसानी से ई-सिगरेट अगर मिल रही है तो इसको लेकर यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को बहुत गंभीर हो जाना चाहिए और कड़े कदम उठाने चाहिए। केंद्र सरकार ने जो नियम-कायदे बनाए हैं, उनको लागू करना शिक्षण संस्थानों की भी जिम्मेदारी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने भेजा था नोटिस
कुछ समय पहले ई-सिगरेट बेचने वाली वेबसाइटों के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को कहा था कि इस बारे में आने वाली किसी भी शिकायत की जानकारी केंद्रीय पोर्टल पर भी साझा की जाए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ऑनलाइन खरीदारी वेबसाइटों और खुदरा दुकानों पर ई-सिगरेट की बिक्री के बारे में जानकारी दी जाए। मंत्रालय ने कई वेबसाइटों को नोटिस भेजकर ई-सिगरेट की बिक्री बंद करने का निर्देश दिया था। बताया जा रहा है कि कई वेबसाइटों की भी सरकार की निगरानी है। ई-सिगरेट की अवैध बिक्री और ऑनलाइन विज्ञापन से जुड़ी सूचनाएं आपके प्लैटफॉर्म पर प्रदर्शित, प्रकाशित, प्रसारित और साझा की जा रही हैं जो ई-सिगरेट निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत गैरकानूनी है।

UGC के पत्र के क्या हैं मायने?
जानकारों का कहना है कि कई उच्च
शिक्षा संस्थानों के आसपास आसानी से ई-सिगरेट और अन्य नशीला पदार्थ छात्रों को मिल जाता है। अब UGC के पत्र में भी इस पर चिंता जताई गई है। ऐसा नहीं है कि शिक्षण संस्थानों को इस बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं होती लेकिन इस मसले पर कड़े कदम नहीं उठाए जाते हैं। UGC के पत्र के बाद यह उम्मीद की जानी चाहिए कि यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से स्थानीय पुलिस के साथ बातचीत कर इस समस्या का समाधान करने की कोशिश की जाएगी। छात्रों को जागरूक किया जाना तो जरूरी है ही, लेकिन औचक निरीक्षण जैसे कदम भी उठाने होंगे। छात्रों को ई-सिगरेट के खतरे के साथ-साथ उन्हें बताना होगा कि उन पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। केंद्र और उसकी संस्थाएं भी इस मुद्दे पर गंभीर हैं। नैशनल मेडिकल कमिशन (NMC) ने संबंद्ध डॉक्टरों को स्वास्थ्य मंत्रालय से जरूरी मंजूरी के बगैर ई-सिगरेट और हीटिड टबैको प्रोडक्ट्स (HTPs) पर कोई भी रिसर्च एक्टिविटी नहीं करने का आदेश दिया है। ई-सिगरेट या तंबाकू से जुड़ी किसी रिसर्च में शामिल नहीं होने के निर्देश भी दिए गए हैं।

 

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