राज्यसभा चुनाव से पहले मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी को चुनौतियां बढ़ गईं , भाजपा का पलड़ा पड़ा भारी
लखनऊ
राज्यसभा चुनाव से पहले मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी को चुनौतियां बढ़ गईं हैं। पार्टी के आधा दर्जन से अधिक विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। कुछ विधायकों के बगावती तेवर को देखते हुए क्रास वोटिंग की आशंका की वजह से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बेचैनी है। एनडीए के खिलाफ जिस ''पीडीए'' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को सपा बड़ी रणनीति मानकर लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही थी, उसकी भी हवा उसके विधायकों ने निकाल दी है।
क्रास वोटिंग पर दोनों पार्टियों की नजर
राज्यसभा चुनाव में प्रदेश की 10 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें सपा के तीन व भाजपा के आठ प्रत्याशी हैं। सपा अपने दो व भाजपा सात प्रत्याशी तो आसानी से जीता सकती है, किंतु दसवें प्रत्याशी को जीताने के लिए दोनों ही पार्टियों के पास पर्याप्त वोट नहीं है। इसलिए दोनों ही दलों की नजर क्रास वोटिंग पर है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने तो सपा में बड़ी सेंधमारी की तैयारी कर ली है।
इन्द्रजीत ने खबरों को बताया साजिश
सपा के करीब आधा दर्जन से अधिक विधायकों के भाजपा के संपर्क में आने की खबरों ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। निष्ठा बदलने वाले विधायकों में जिनकी चर्चा सबसे अधिक है उनमें मझनपुर के विधायक व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव इन्द्रजीत सरोज भी हैं। हालांकि इन्द्रजीत सरोज इन दिनों गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं। उन्होंने इसे अपने खिलाफ साजिश बताते हुए पाला बदलने की खबरों का खंडन किया है।
पल्लवी के तेवर से भी सपा को झटका
वहीं, पार्टी की विधायक व अपना दल कमेरावादी की पल्लवी पटेल के तेवर भी कुछ अलग संदेश दे रहे हैं। वो इसलिए नाराज चल रही हैं क्योंकि पीडीए की बात करने वाली सपा ने राज्यसभा प्रत्याशी बनाने में पिछड़ा व अल्पसंख्यक का ख्याल नहीं रखा। उन्होंने सपा प्रत्याशियों को वोट नहीं देने की बात कही है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होकर उन्होंने कांग्रेस से भी नजदीकियां बढ़ा दी हैं। वर्तमान परिस्थितियों में सपा के लिए अपने विधायकों को सहेज कर रख पाना उसके लिए बड़ी चुनौती बन गया है।