अन्य राज्यछत्तीसगढ़

समवेत प्रयासों से जिले में आवारा पशुओं का हो रहा बेहतर प्रबंधन

समवेत प्रयासों से जिले में आवारा पशुओं का हो रहा बेहतर प्रबंधन

सड़कों पर अब कम दिखाई देते हैं जानवर, दुर्घटना में आई कमी

टैगिंग व रेडियम बेल्ट से पशुओं की पहचान हुई आसान

गांव-गांव में चौपाल लगाकर लोगों को किया जा रहा जागरूक

जोगीपुर में तेजी से विकसित हो रहा गो अभ्यारण्य

रोस्टर बनाकर अधिकारी रोज कर रहे पशुओं की निगरानी

बिलासपुर
 मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जिला प्रशासन के समन्वित प्रयासों से आवारा पशुओं के प्रबंधन में काफी हद तक कामयाबी मिली है। सड़कों पर पशुओं का सामूहिक कब्जा अब कम देखने को मिलता है। दुर्घटना भी अब नहीं के बराबर नोट की जा रही है। पशुओं की टैगिंग और गले में रेडियम बेल्ट पहनाए जाने से पशुओं की पहचान आसान हुई है। टैगिंग से पशु मालिक का पता चल जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे के ग्रामों में आयोजित जन चौपाल से मालिकों में जागरूकता आई है। वे अपने पशुओं की ठीक से निगरानी कर रहे हैं। कलेक्टर अवनीश शरण हर रोज इसकी नियमित समीक्षा करते हैं। इसके अलावा राजस्व, नगर निगम और पुलिस की संयुक्त टीम सड़कों पर पशुओं की निगरानी भी कर रहे हैं। इस बीच जोगीपुर में गो अभ्यारण्य भी तेजी से विकसित हो रहा है। पशुओ के प्रबंधन के लिए 354 वॉलेन्टियर्स भी बनाए गए हैं जो पशु प्रबंधन में मदद कर रहे हैं।

बैगा, बिरहोर आदिवासियों को अब तक 300 जोड़ी बैल वितरित
प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत बैगा, बिरहोर आदिवासियों को निःशुल्क बैल जोड़ी वितरित किया गया। अब तक 300 आदिवासी किसान परिवारों को बैल जोड़ी बांटा जा चुका है। खेती-किसानी की उन्नति में वे इन बैल जोड़ियों का उपयोग करेंगे। ये वे घूमंतु बैल हैं जिन्हें सड़क से उठाकर मोपका गोठान में रखा गया था। उनके मालिकों को सूचना देने के बावजूद उनके द्वारा नहीं ले जाया गया इसलिए इन बैलों को जब्त कर बैगा आदिवासियों को इन बैलों का वितरण किया गया।

जनचौपाल का सिलसिला लगातार जारी
माननीय उच्च न्यायालय के आदेश एवं मुख्य सचिव के निर्देश पर जिले के प्रमुख नेशनल और स्टेट राजमार्गों में घुमन्तू पशुओं के कारण होने वाली आकस्मिक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जिले में निरंतर प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए पशुपालकों को प्रेरित करने एवं उनके व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु जिले के चिन्हांकित क्षेत्रों में जनचौपाल का भी आयोजन किया जा रहा है। जिला प्रशासन द्वारा जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग क. 130 अंतर्गत दर्रीघाट वि.खं. मस्तूरी एवं सेंदरी विखं बिल्हा को चिन्हित किया गया है। यहां जनचौपाल का आयोजन कर पशुपालकों को समझाईश देते हुए इस संबंध में विस्तार से जानकारी दी जा रही है। अब तक  202 जन चौपाल का आयोजन किया गया है।

इसी प्रकार अन्य जनचौपाल के लिए तिथियां निर्धारित कर ली गई है।
          जनचौपाल के तहत  जिले के विभिन्न विभागों के अधिकारियों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, पशुपालकों की उपस्थिति में जनचौपाल का आयोजन किया जा रहा है जिसमें पशुपालकों को घुमन्तू पशुओं को सड़क पर छोड़े जाने से होने वाले समस्याओं से अवगत कराने के साथ साथ पशुओं को सड़कों पर नहीं छोड़ने हेतु अपील एवं समझाईश दिया गया, जिससे घुमन्तू पशुओं के कारण सड़कों में होने वाली समस्याओं में कमी आ आई है। इस संबंध में सभी संबंधित विभाग के अधिकारियों के द्वारा विभागीय योजनाओं के लाभ तथा इससे आवारा पशु नियंत्रण में प्रभावी उपयोग पर जानकारी दी जा रही है, जिसका सकारात्मक प्रभाव ग्रामीणों एवं पशुपालकों पर पड़ा तथा आवारा पशुओं के नियंत्रण के संबंध में ग्रामीणों द्वारा सुझाव भी दिये गये ।

तेजी से आकार ले रहा है जोगीपुर गो अभ्यारण्य
जोगीपुर में डेढ़ सौ एकड़ क्षेत्र में गो अभ्यारण्य तेजी से आकार ले रहा है। कोटा विकासखण्ड के ग्राम जोगीपुर में विशाल गो अभयारण्य विकसित किया जा रहा है। लगभग 154 एकड़ भूमि इसके लिए चिन्हांकित की गई है। जिला मुख्यालय से कोई 30 किमी दूर नदी,नालों,तालाबों और हरियाली से भरपूर यह इलाका अभयारण्य के लिए बेहद अनुकूल जगह है। बीमार, अपाहिज, आवारा एवं सड़कों से हटाये गए जानकारों को यहां पनाह दिया जायेगा। उनकी देखरेख एवं चारा पानी की समुचित व्यवस्था इस अभयारण्य में रहेगी। अभी यहां समतलीकरण कार्य एवं शेड निर्माण किया जा रहा है। मनरेगा, पशुधन विकास सहित विभिन्न योजनाओं के अभिसरण से इसका विकास किया जायेगा। इसके नजदीक सोलर चालित पम्प एवं बोर की व्यवस्था जल्द ही की जाएगी। चारे की निरंतर उपलब्धता के लिए 24 एकड़ में चारागाह विकसित किया जायेगा।

आवारा मवेशियों में जियो टैगिंग
सड़कों पर घूमने वाले आवारा घूमने वाले मवेशियों की टैगिंग की जा रही है। उन्हें गले में रेडियम बेल्ट भी पहनाए जा रहे हैं। 1207 पशुओं को ईयर टैगिंग और 7284 पशुओं में रेडियम कॉलर बेल्ट लगाया जा चुका है। इस कार्य से पशुओं की पहचान आसान हुई है। टैगिंग से पशु मालिक का पता चल जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
slot gacor toto 4d slot toto slot gacor thailand slot777 slot tergacor https://mataerdigital.com/ istanapetir slot gacor cupangjp situs maxwin ayamjp gampang menang slot online slot gacor 777 tikusjp situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot istanapetir situs terbaru slot
lemonadestand.online monitordepok.com portal.pramukamaros.or.id elibrary.poltektranssdp-palembang.ac.id cutihos.wikaikon.co.id pmb.umpar.ac.id industri.cvbagus.co.id ppdb.smpn1mantup.sch.id taqwastory.sma1bukitkemuning.sch.id media.iainmadura.ac.id omedia.universitasbumigora.ac.id pik.omedia.universitasbumigora.ac.id https://threadsofhopetextiles.org/bekleng/indexing/ metro.jrs.or.id sim.kotaprabumulih.go.id web.sip.pn-kotaagung.go.id