अन्य राज्यमध्य प्रदेश

भोपाल को मिली सौगात: राज्य की पहली FDR रोड को मंजूरी, 11 मील से बंगरसिया तक बनेगी फोरलेन सड़क

भोपाल 

फुल डेप्थ रिक्लेमेशन यानी एफडीआर तकनीक से शहर की पहली रोड़ 11 मील से बंगरसिया तक बनने वाली है। पीडब्ल्यूडी ने इसके लिए 50 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर सड़क बनाने के लिए 1100 पेड़ों की बलि नहीं दी जाएगी। दावा है कि फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक से बनने वाली सड़क ज्यादा टिकाऊ और किफायती होती है।

50 करोड़ से फोरलेन में बदलेगी 2 लेन सड़क

इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद शहर की 11 मील से बंगरसिया तक (भोजपुर रोड) 6 किमी सड़क 50 करोड़ रुपए से टू-लेन से फोरलेन में बदलेगी। फोरलेन की जद में करीब 100 पेड़ और आ रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की रोक के बाद इन्हें बचाया जाएगा। भोपाल के पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर संजय मस्के ने बताया कि पेड़ों को बचाते हुए सड़क बनाएंगे। बारिश के बाद सड़क निर्माण शुरू होगा।

मॉडल बनेगी ये सड़क

पीडब्ल्यूडी (PWD) इस रोड को 50 करोड़ से बनाएगा। यह सड़क प्रदेश में एक मॉडल बनेगी। इस सड़क में एफडीआर (फुल डेप्थ रिक्लेमेशन) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। इसका मतलब है कि मौजूदा सड़क के मटेरियल को रीयूज किया जाएगा। एक साल के अंदर सड़क पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगी। हालांकि फोरलेन किनारे कई लोग दुकान और होटलों के लिए पेड़ों की कटाई कर रहे हैं।

भोजपुर जाने जाने वाले होते हैं परेशान

11 मील से बंगरसिया तक की सड़क की हालत काफी खराब है। यह सड़क धार्मिक नगरी भोजपुर को जोड़ती है। हर रोज हजारों लोग इस खराब सड़क से गुजरने के कारण परेशान होते हैं। बारिश के चलते सड़क की स्थिति काफी जर्जर है।

प्रदेश के लिए बनेगी मॉडल सड़क

इस प्रोजेक्ट को प्रदेश में एक आदर्श मॉडल के तौर पर देखा जा रहा है। फुल डेप्थ रिक्लेमेशन तकनीक से बनने वाली यह सड़क ज्यादा मजबूत और टिकाऊ मानी जाती है। इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि सड़क बनाने में पुराने मटेरियल को ही रीयूज किया जाता है। इससे निर्माण की लागत कम आती है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता। अधिकारियों का कहना है कि लगभग एक साल के भीतर यह सड़क पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगी और प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसी तकनीक से सड़कें बनाने की योजना पर विचार किया जा सकता है।
भोजपुर जाने वालों के लिए राहत

11 मील से बंगरसिया तक की सड़क की स्थिति लंबे समय से खराब है। यह मार्ग धार्मिक नगरी भोजपुर को जोड़ता है, जहां हर दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन करने जाते हैं। बारिश के दिनों में सड़क पर गड्ढे और कीचड़ होने से लोगों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है। नए निर्माण के बाद यहां से गुजरने वाले यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी और सड़क यात्रा का अनुभव सुरक्षित और आरामदायक होगा।
क्या है एफडीआर तकनीक?

फुल डेप्थ रिक्लेमेशन यानी FDR तकनीक सड़क निर्माण की आधुनिक और किफायती पद्धति है। इसमें पुरानी और खराब हो चुकी पक्की सड़क को पूरी तरह उखाड़ लिया जाता है। उसके बाद निकले मटेरियल को विशेष केमिकल और स्टेबलाइजिंग एजेंट के साथ मिलाकर फिर से तैयार किया जाता है। यही मटेरियल नई सड़क बनाने में इस्तेमाल होता है। इस प्रक्रिया से सड़क ज्यादा मजबूत बनती है और लंबे समय तक खराब नहीं होती। साथ ही, नई सामग्री की खपत कम होने से लागत भी काफी घट जाती है। यही वजह है कि इसे टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल तकनीक माना जाता है।

जानें क्या है एफडीआर टेक्नोलॉजी

फुल डेह्रश्वथ रिक्लेमेशन (एफडीआर) एक रिसाइङ्क्षक्लग पद्धति है, जिसमें कम संसाधनों में टिकाऊ सड़कें बनाई जाती हैं। खराब हो चुकी पक्की सड़क को उखाड़कर उससे निकले मटेरियल में केमिकल मिलाया जाता है, जिससे नया मटेरियल तैयार किया जाता है। इसे फिर सड़क निर्माण में उपयोग किया जाता है। इससे लागत भी कम आती है।

यह है एफडीआर टेक्नोलॉजी फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) एक रिसाइक्लिंग पद्धति है, जिसमें कम संसाधनों में टिकाऊ सड़कें बनाई जाती हैं। खराब हो चुकी पक्की सड़क को उखाड़कर उससे निकले मटेरियल में केमिकल मिलाया जाता है, जिससे नया मटेरियल तैयार किया जाता है। इसे फिर सड़क निर्माण में उपयोग किया जाता है। इससे लागत भी कम आती है।

सड़क की स्थिति खराब, परेशान होते हैं श्रद्धालु वर्तमान में 11 मिल से बंगरसिया तक की सड़क की हालत काफी खराब है। यह सड़क धार्मिक नगरी भोजपुर को जोड़ती है। हर रोज हजारों लोग इस खराब सड़क से गुजरने के कारण परेशान होते हैं। बारिश के चलते सड़क की स्थिति काफी जर्जर है। बड़े-बड़े गड्‌ढे हो चुके हैं।

हर साल होता है भोजपुर महोत्सव भोजपुर में दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है। यहां हर साल भोजपुर महोत्सव आयोजित होता है, जिसमें देश-विदेश के कवि, साहित्यकार और टीवी-फिल्म कलाकार शामिल होते हैं। हालांकि, 6 किमी लंबी सड़क के गड्ढे उन्हें परेशान कर देते हैं। यही समस्या श्रद्धालुओं के साथ भी होती है।

कई जिलों का रास्ता भी 11 मिल से बंगरसिया तक सड़क बनने से रायसेन, विदिशा, बैतूल समेत कई जिलों के लोगों को भी बड़ी राहत मिलेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button