राष्ट्रीय

CEC नियुक्ति वाले बिल में फिर से बड़ा बदलाव, सर्च कमेटी भी बदली दिखेगी, बस दर्जा नहीं घटेगा

नई दिल्ली
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त और आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया से चीफ जस्टिस को बाहर करने वाले बिल में केंद्र सरकार ने एक नया बदलाव कर दिया है। प्रस्तावित विधेयक में कहा गया था कि चुनाव आयुक्तों को चुनने वाली समिति में मुख्य न्यायाधीश की बजाय एक कैबिनेट मंत्री को जगह मिलेगी। इसके अलावा चुनाव आयुक्तों को अब सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर का दर्जा न मिलने का प्रावधान भी था। हालांकि अब इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया है और चुनाव आयुक्तों को न्यायाधीश के बराबर का ही दर्जा मिलेगा। इससे पहले प्रस्ताव यह था कि चुनाव आयुक्तों को जज की बराबर नहीं बल्कि कैबिनेट सेक्रेटरी के बराबर सैलरी और भत्ते मिलेंगे और उनका दर्जा भी वैसा ही होगा।

अब इस फैसले को वापस ले लिया गया है। आज इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाना है। कहा जा रहा है कि विपक्ष और पूर्व चुनाव आयुक्तों की ओर से आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद दर्जा कम करने का फैसला वापस ले लिया गया है। वहीं नियुक्ति प्रक्रिया में किया गया बदलाव कायम रहेगा। विधेयक में कहा गया है कि पीएम, एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता को कमेटी में शामिल किया जाएगा। यह कमेटी ही बहुमत से फैसला लेगी कि चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर किसे नियुक्त किया जाए।

विधेयक पारित होगा तो पलट जाएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया कॉलेजियम जैसी होनी चाहिए। इससे चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और कामकाज में ज्यादा पारदर्शिता आएगी। इसी फैसले में अदालत ने आदेश दिया था कि समिति बनाई जाए, जिसका चीफ जस्टिस भी हिस्सा होंगे। अब उसी आदेश में बदलाव के लिए सरकार विधेयक लेकर आ रही है। सरकार सितंबर में आयोजित विशेष सत्र में ही यह बिल लाना चाहती थी, लेकिन विपक्ष के विरोध के बाद उसने कदम वापस खींच लिए थे।

चुनाव आयुक्तों की सर्च कमेटी में भी होगा बदलाव
विपक्ष का इस बात को लेकर तीखा विरोध था कि चुनाव आयुक्तों का कद घटाकर सुप्रीम कोर्ट के जजों की बजाय कैबिनेट सचिव के बराबर कर दिया गया है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने भी इसे लेकर सवाल खड़ा किया था और फिर सरकार ने बदलाव कर दिया। इसके अलावा सेलेक्शन पैनल के पास सर्च कमेटी 5 नाम भेजती है। उसमें सर्च कमेटी के गठन में भी बदलाव का प्रस्ताव है। नए प्रस्ताव के मुताबिक कानून मंत्री सर्च कमेटी का हिस्सा होंगे। पहले यह प्रस्ताव था कि दो वरिष्ठ अधिकारी और कैबिनेट सचिव उसमें रहेंगे। अब कैबिनेट सचिव के स्थान पर कानून मंत्री को जगह मिलेगी।

 

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