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बिहार कैबिनेट की बड़ी सौगात: संविदा कर्मियों और ग्राम कचहरी सचिवों की सैलरी बढ़ी, 49 प्रस्ताव पास

पटना 
बिहार सरकार ने मंगलवार को प्रशासनिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों के 49 प्रस्तावों को मंज़ूरी दे दी, जिससे संविदा कर्मियों और पंचायती राज कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली। यह निर्णय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सचिवालय के केंद्रीय कक्ष में हुई राज्य कैबिनेट की एक महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया। 

ग्राम कचहरी सचिवों का वेतन हुआ 9,000 
नीतीश कुमार सरकार ने ग्राम कचहरी सचिवों का वेतन 6,000 रुपए से बढ़ाकर 9,000 रुपए कर दिया है, जिसे पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के तौर पर देखा जा रहा है। तकनीकी सहायकों और लेखाकार-सह-आईटी सहायकों के अलावा, बिहार गृह रक्षा वाहिनी के सदस्यों के ड्यूटी भत्ते में भी वृद्धि की गई है। तकनीकी सहायकों को पहले 27,000 रुपए मिलते थे और अब उन्हें 40,000 रुपए प्रति माह मिलेंगे। लेखाकार-सह-आईटी सहायकों को पहले 20,000 रुपए मानदेय मिलता था, और कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद अब उन्हें 30,000 रुपए प्रति माह मिलेंगे।

हजारों संविदा कर्मचारियों को होगा सीधा लाभ
नया मानदेय 1 जुलाई से लागू होगा, जिससे उन हजारों संविदा कर्मचारियों को सीधा लाभ होगा जो वर्षों से वेतन वृद्धि की मांग कर रहे थे। कैबिनेट ने युवाओं के लिए रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई विभागों में नई भर्तियों को भी मंजूरी दी। इनमें शिक्षा विभाग में शिक्षकों की नियुक्तियां और कला एवं संस्कृति विभाग में नई भर्तियां शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन दोनों प्रस्तावों का उद्देश्य बेरोज़गारी कम करना और राज्य भर में शिक्षा एवं सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे को मज़बूत करना है। अन्य प्रस्तावों में विभिन्न विभागों के लिए योजनाओं को मंज़ूरी, बुनियादी ढांचे का विकास, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नई परियोजनाएं और सेवा शर्तों में संशोधन शामिल हैं। 

राज्य सरकार द्वारा लिए गए इन फैसलों को जनहित की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। अगले कुछ दिनों में, संबंधित विभागों द्वारा इन प्रस्तावों को लागू करने की दिशा में अधिसूचनाएं जारी की जाएंगी। चुनावी साल में, नीतीश सरकार ने युवाओं, जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और शिक्षा व अन्य क्षेत्रों से जुड़े कर्मचारियों के लिए कई फैसलों की घोषणा की है। कैबिनेट के ताजा फ़ैसलों को समाज के प्रमुख वर्गों, ख़ासकर ग्रामीण मज़दूरों, संविदा कर्मचारियों और नौकरी की तलाश में जुटे युवाओं को लुभाने की सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

 

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