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बिहार सरकार ने पुल गिरने के मामले में की बड़ी कार्रवाई, 11 इंजीनियर्स को किया निलंबित

पटना
बिहार सरकार ने लगातार पुल गिरने के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। दरअसल, सरकार ने 2 कार्यपालक अभियंता और चार सहायक अभियंता समेत 11 इंजीनियर को निलंबित कर दिया है। जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने कहा कि 9 पुल ध्वस्त हुए हैं, इनमें से 6 पुल बहुत पुराने हैं।

'मेंटेनेंस के अभाव में पुल ध्वस्त होने की बात सामने आई'
चैतन्य प्रसाद ने कहा कि मेंटेनेंस के अभाव में इन पुलों के ध्वस्त होने की बात सामने आई है। उन्होंने कहा कि 2 कार्यपालक अभियंता, 4 सहायक अभियंता और 2 कनीय अभियंता समेत 11 इंजीनियर को निलंबित किया गया है। वहीं, ग्रामीण कार्य विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि पहला पुल अररिया में  गिरा, जहां चार अभियंता निलंबित किए गए। अररिया में 7 करोड़ रुपए की लागत से पुल बना था। दूसरा पुल मोतिहारी के घोड़ासहन में ध्वस्त हुआ। इस पुल की लागत 1 करोड़ 60 लाख रुपए की थी। तीसरा पुल मधुबनी में गिरा, जो 3 करोड़ 21 लाख रुपए की लागत से बना था।  बाकी पुल के बारे में जानकारी ली जा रही है।

15 दिन में 10 पुल ढह गए
गौरतलब हो कि सिवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में पिछले 15 दिन में 10 पुल ढह गए हैं। 18 जून को अररिया में 12 करोड़ की लागत से बकरा नदी के ऊपर बना रहा पुल ध्वस्त हो गया था। इसके बाद 22 जून को सिवान में गंडक नदी पर बना पुल गिर गया। बताया जाता है कि यह पुल तकरीबन 40-45 साल पुराना था। इसके बाद 23 जून को पूर्वी चंपारण में लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से बन रहा पुल ध्वस्त होने का मामला सामने आया। फिर 27 जून को बिहार के किशनगंज में भी कंकाई और महानंदा नदी को जोड़ने वाली एक छोटी सहायक नदी पर बन रहा पुल ध्वस्त हो गया। 28 जून को मधुबनी में पुल गिर गया। 1 जुलाई को मुजफ्फरपुर में पुल ध्वस्त हो गया। वहीं, 3 जुलाई को सीवान में तीन और सारण में दो पुल धराशायी हो गए।

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