सुशील मोदी, अश्विनी चौबे और शाहनवाज हुसैन को भाजपा ने निपटाया! ‘भरोसा मिला या टूटा’ पर बढ़ी अटकलें
पटना.
लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए 28 मार्च को बिहार में नामांकन का अंतिम दिन है। पहले चरण के लिए भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी औरंगाबाद और नवादा में नामांकन करेंगे। हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा-सेक्युलर को गया और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को जमुई से नामांकन कराना है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दोनों बड़े दलों भाजपा और जनता दल यूनाईटेड की सभी सीटों के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद आज होली है।
होली पर आम लोगों के साथ नेता भी एक-दूसरे से मिल रहे हैं। इस मेल मिलाप के बीच पिछले 48 घंटे से घोषित प्रत्याशियों से ज्यादा तीन नामों पर चर्चा चल रही है- 1. सुशील कुमार मोदी, 2. अश्विनी कुमार चौबे, 3. सैयद शाहनवाज हुसैन। भारतीय जनता पार्टी में करीब दो दशक तक बिहार में सुशील कुमार मोदी का जलवा रहा। लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री रहते हुए विपक्षी नेता के रूप में, फिर नीतीश कुमार के साथ उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में। फिर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा विधायकों के हिसाब से दूसरे नंबर पर आयी तो उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चाहत और जिद के बावजूद सुशील मोदी किनारे कर दिए गए। उन्हें डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया। इंतजार के बाद उन्हें राज्यसभा भेजा गया। अब वह राज्यसभा के भी पूर्व सांसद हैं। जब राज्यसभा के लिए नाम नहीं आया तो माना जा रहा था कि भागलपुर या पटना से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया जा सकता है। भागलपुर के वह सांसद रहे हैं। लेकिन, राज्यसभा-विधान परिषद् की घोषणा के बाद लोकसभा सीटों के लिए भी एलान हो गया, सुशील मोदी का नाम नहीं आया। ऐसे में हर तरफ यही सवाल उठ रहा है कि 28 जनवरी को बिहार में एनडीए सरकार की वापसी के पहले भी सुशील मोदी की सक्रियता की बात आ रही थी, लेकिन उन्हें कुछ सोचकर भाजपा ने दरकिनार किया है। भाजपा नेता खुलकर इसपर बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन चाणक्या इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा कहते हैं- "वैश्य समाज से राज्यसभा में महिला नेत्री को भेजने से जाति को मैनेज किया गया है, लेकिन सुशील मोदी को दरकिनार करने का गलत संदेश गया है। राजनीति में हर संदेश का फायदा-नुकसान होता है। चुनाव भी सामने है, लेकिन देखना होगा कि सुशील मोदी खुद क्या रुख अपनाते हैं।" लेकिन, सवाल यही है- क्या सुशील कुमार मोदी भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में चले गए?
अश्विनी चौबे- केंद्रीय मंत्री तक की कुर्सी, अब राजनीति से विश्राम अवस्था
भागलपुर क्षेत्र से लंबे समय तक राज्य की राजनीति करते हुए बक्सर से देश की राजनीति तक पहुंचे अश्विनी कुमार चौबे केंद्रीय मंत्री हैं। 2024 के जून महीने में चाहे सरकार कोई बनाए, वह मंत्री नहीं होंगे। भाजपा ने उन्हें बक्सर से टिकट नहीं दिया। बक्सर में टिकट के पांच-छह दावेदार थे, लेकिन चौंकाते हुए चौबे का टिकट काटकर मिथिलेश तिवारी को दे दिया गया। चौबे भागलपुर से भी प्रयासरत बताए जा रहे थे। दोनों में से कहीं नाम नहीं आया। कहा जा रहा है कि उन्हें कुछ और मिलने का भरोसा दिलाया गया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे को सक्रिय राजनीति से संन्यास दे दिया गया?
शाहनवाज हुसैन- दरकिनार होने वाला समय नहीं, फिर क्या हो गया समझ से परे
केंद्रीय मंत्री रहने के बाद काफी समय तक संगठन में लगाए गए सैयद शाहनवाज हुसैन को 2020 में बिहार का उद्योग मंत्री बनाया गया था। विधान परिषद् के रास्ते उन्हें मुख्य धारा में लाया गया। काम की चर्चा खूब चल रही थी, लेकिन अचानक बिहार की नीतीश कुमार सरकार महागठबंधन सरकार में बदल गई तो वह भी बाकी भाजपाई मंत्रियों की तरह वह भी पूर्व हो गए। इस साल 28 जनवरी को फिर एनडीए सरकार की वापसी हुई तो उम्मीद जागी, लेकिन माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में शाहनवाज हुसैन को मौका मिलेगा। राज्यसभा के लिए नाम नहीं आया और विधान परिषद् की उनकी सदस्यता भी खत्म होने दी गई तो लोकसभा की संभावना ज्यादा बढ़ गई। वह भागलपुर और किशनगंज के लिए प्रयासरत थे। भाजपा ने दोनों सीटें जदयू के खाते में जाने दी तो भी चर्चा थी कि सीतामढ़ी के सांसद सुनील कुमार पिंटू वाले फॉर्मूले के तहत इस बार हुसैन को मौका मिल जाएगा। लेकिन, अब हर दरवाजा बंद हो गया है। ऐसे में भाजपा के अंदर ही नहीं, बाहर भी चर्चा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन के साथ साजिश हो गई है। सवाल यह भी है कि कहीं मुख्तार अब्बास नकवी की तरह किनारे लगा दिए गए हैं?
सुमो-चौबे संपर्क से दूर, हुसैन बोले- आस्था नहीं बदलेगी, 40 सीटें जीतेंगे
भाजपा के अंदर और बाहर चल रही इन चर्चाओं को लेकर 'अमर उजाला' ने पार्टी के इन तीनों दिग्गजों से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही। सुशील कुमार मोदी के किसी भी नंबर पर बात नहीं हो सकी। मोबाइल बजता रहा, लेकिन रिसीव नहीं हुआ। केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे भी संपर्क से दूर रहे। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कॉल उठाया, लेकिन सभी 40 सीटों को अपना बताते हुए कहा कि "राजनीति में जन्म के समय से जो भाजपाई हैं, उनकी आस्था में कोई बदलाव नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि पार्टी का सिपाही हूं और यह पार्टी धर्म-जाति को लेकर भेदभाव नहीं करती। कुछ सोचकर ही किसी को टिकट दिया जाता है, किसी को नहीं। मैं फिलहाल दिल्ली में हूं, बिहार की 40 सीटों के लिए आने वाला हूं।"