अन्तर्राष्ट्रीय

युद्ध के लिए जेलेंस्की को ही जिम्मेदार ठहराया और उन्हें तानाशाह तक करार दिया, यूक्रेन के ‘खजाने’ पर कब्जा चाहते हैं ट्रंप

कीव
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन पर उसके खनिज संसाधनों से जुड़े एक समझौते को "तोड़ने" का आरोप लगाया है। हालांकि यह समझौता कभी आधिकारिक रूप से फाइनल नहीं हुआ था, लेकिन ट्रंप ने बुधवार (19 फरवरी) को मीडिया से बात करते हुए कहा कि "यूक्रेन ने वह समझौता तोड़ा है।" ट्रंप का दावा है कि जब अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट पिछले हफ्ते कीव गए थे, तो यूक्रेनी अधिकारियों ने इस समझौते को "लगभग मंजूर" कर लिया था, लेकिन फिर "बेसेन्ट के साथ रूखा व्यवहार किया गया और अंततः उन्हें इनकार कर दिया गया।"

ट्रंप पिछले कुछ समय से यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की पर हमला बोल रहे हैं। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए जेलेंस्की को ही जिम्मेदार ठहराया और उन्हें तानाशाह तक करार दिया है। हाल ही में फॉक्स न्यूज रेडियो को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, "मैं यह सुन-सुनकर थक चुका हूं कि यह (युद्ध) पुतिन की गलती है। जेलेंस्की कई बैठकों में शामिल हुए, लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ।" ट्रंप के इन बयानों से न केवल यूक्रेन बल्कि अमेरिका के यूरोपीय सहयोगी भी हैरान हैं। उनके हमलों से यह भी स्पष्ट हो गया है कि ट्रंप प्रशासन रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अपनी नीति में बदलाव कर रहा है। विशेषज्ञों को इसके पीछे ट्रंप का लालच भी नजर आता है। ये लालच है यूक्रेन के 'खनिज', जो अमेरिका के लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकते हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

क्या था प्रस्तावित समझौता?
अमेरिका ने प्रस्ताव दिया था कि वह यूक्रेन को रूस के खिलाफ समर्थन देने के बदले उसके महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों पर 50 प्रतिशत पहुंच चाहता है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की इस समझौते को लेकर सकारात्मक थे, लेकिन उन्होंने अधिक अनुकूल शर्तों की मांग की। यूक्रेन प्राकृतिक खनिज संपदाओं से समृद्ध देश है, जहां कई महत्वपूर्ण धातुएं पाई जाती हैं। इनका इस्तेमाल रक्षा उपकरणों, स्वच्छ ऊर्जा समाधानों (जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों), इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और सेमीकंडक्टर्स के निर्माण में होता है। इन खनिजों का वैश्विक स्तर पर सीमित भंडार है और इनका खनन कठिन है, जिससे इनका महत्व और बढ़ जाता है। अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए ये इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि इनका सबसे बड़ा स्रोत चीन है।

यूक्रेन के पास कितने महत्वपूर्ण खनिज हैं?
यूक्रेन के पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय एवं यूक्रेनी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के अनुसार, "यूक्रेन के पास अमेरिका द्वारा पहचाने गए 50 रणनीतिक खनिजों में से 22 और यूरोपीय संघ द्वारा सूचीबद्ध 34 महत्वपूर्ण खनिजों में से 25 मौजूद हैं।" खासतौर पर यूक्रेन ग्रेफाइट, लिथियम, टाइटेनियम, बेरिलियम और यूरेनियम जैसे खनिजों के मामले में बेहद अच्छी स्थिति में है।

समझौते को लेकर विवाद और ट्रंप का दावा
हालांकि इस समझौते की पूरी जानकारी सार्वजनिक नहीं है, लेकिन व्यापक रूप से इसे यूक्रेन द्वारा भविष्य में सहायता सुरक्षित करने का एक तरीका माना जा रहा है, जबकि ट्रंप पहले से दी गई अमेरिकी सैन्य सहायता के बदले भुगतान चाहते हैं। फाइनेंशियल टाइम्स रिपोर्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने कहा, "यूक्रेन हमें 500 अरब डॉलर मूल्य के संसाधन (खनिज भंडार, ईंधन और बंदरगाह जैसी अवसंरचना) देने का ऋणी है।" यह राशि अमेरिका द्वारा 2014 से अब तक दी गई कुल 69.2 अरब डॉलर की सैन्य सहायता से कहीं अधिक है।

समझौते पर बातचीत और जेलेंस्की का रुख
यह प्रस्ताव म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के दौरान चर्चा में आया, जिसके बाद जेलेंस्की ने एपी न्यूज एजेंसी को बताया, "मैंने मंत्रियों को समझौते पर हस्ताक्षर करने नहीं दिया क्योंकि मेरी नजर में यह समझौता हमारी रक्षा और हितों की सुरक्षा के लिए तैयार नहीं था।" अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि अगर अमेरिका को यूक्रेन में खनन लाइसेंस या खनिज संसाधनों के दोहन की आर्थिक हिस्सेदारी मिलती है तो यह खुद ही एक सुरक्षा गारंटी होगी, क्योंकि अमेरिका अपने हितों की रक्षा के लिए कदम उठाएगा। लेकिन जेलेंस्की अधिक ठोस सैन्य और आर्थिक सहायता की गारंटी चाहते हैं।

ट्रंप के सामने कई बड़ी अड़चनें
यूक्रेन का संविधान कहता है कि देश की भूमिगत संपदाएं वहां के नागरिकों की हैं। नेशनल एसोसिएशन ऑफ माइनिंग इंडस्ट्री ऑफ यूक्रेन की संस्थापक क्सेनिया ओरीनचाक के अनुसार, "किसी भी समझौते को यूक्रेनी कानून के अनुरूप होना होगा।" यूक्रेन के पास खनिज संसाधनों का पर्याप्त आधुनिक डेटा नहीं है। अमेरिका स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज की निदेशक ग्रेसेलिन बास्कारन के अनुसार, "खनिज भंडार पर सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। अधिकांश सर्वेक्षण सोवियत संघ के जमाने में किए गए थे।" रूस के आक्रमण से पहले, यूक्रेन और यूरोपीय संघ के बीच खनिज संसाधनों के लिए एक रणनीतिक साझेदारी समझौता हुआ था।

रूसी कब्जे वाले क्षेत्र
इसके अलावा, यूक्रेन के महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों में से कई हिस्से वर्तमान में रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों में स्थित हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, "रूसी सेना पहले ही यूक्रेन के पांचवें हिस्से पर कब्जा कर चुकी है, जिसमें कई दुर्लभ खनिज भंडार शामिल हैं।" 

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