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हरदा हादसे पर स्थगन चर्चा कार्रवाई और अपेक्षाओं के संघर्ष के बीच गांधी के चरणों में ‘बम माला’

भोपाल

विधानसभा में आज हरदा हादसे की गूंज सुनाई दी। हादसे में दिवंगत हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। विधानसभा में सभी विधायकों ने दो मिनट का मौन रखकर शोक संवेदना व्यक्त की। इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हरदा हादसे में 11 लोगों की मौत हुई है और कई घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस घटना से उनका मन व्यथित है।

घायल हुए लोगों के जल्द स्वस्थ होने की काम करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार सभी पीड़ितों के साथ खड़ी है। घायलों के इलाज में कोताही नहीं बरती जाएगी। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी घटना पर शोक जताते हुए कहा कि हरदा में हुआ हादसा बहुत बड़ा था। राष्टÑपति द्रोपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी संवेदना व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि घटना में मृतकों को सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब उनके बारे मे ंसंवेदना के साथ सोचें और उनके परिवार के लोगों को हर तरह की मदद सरकार की ओर से की जाए। सदन में नक्सली हमले में शहीद हुए पवन भदौरिया और गुना के आरोन में बस हादसे के मृतकों को भी श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद सदन 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया।

जांच में शामिल हों एमएलए-मीडिया
हरदा से कांग्रेस विधायक आरके दोगने आज नकली सुतली बम पहनकर विधानसभा पहुंचे और उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा को नमन किया। मीडिया से चर्चा में दोगने ने सरकार पर आरोप लगाया कि शासन हरदा हादसे के मामले में मौत के झूठे आंकड़े पेश कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की। उनका कहना था कि चार लाख रुपए से कुछ नहीं होता। साथ ही उन्होंने पटाखा फैक्ट्री के तलघर की जांच करने और जांच समिति में विधायक, मीडिया के लोगों को शामिल करने की मांग की।

दूसरी ओर कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने हरदा हादसे पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया। जिसे विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने स्वीकार कर लिया। उन्होंने स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के लिए डेढ़ घंटे का समय दिया। चर्चा की शुरुआत करते हुए  रामनिवास रावत ने कहा, हरदा की फैक्ट्री में सुतली बम ही नहीं, जिलेटिन रॉड बनाने का काम भी किया जा रहा होगा। 50 से 60 घर इस घटना में तबाह हो गए। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि घटना के वक्त कितने मजदूर फैक्ट्री में थे। फैक्ट्री में 500 लोगों के मजदूरी करने की क्षमता है। रावत ने कहा, फैक्ट्री में सबसे पहले हादसा 2015 में हुआ था। अग्रवाल की फैक्ट्री कुंजरगांव और पीपलपानी में भी है। फैक्ट्री में कई बार हादसे हुए।

पेटलावद में बड़े पैमाने पर लोग मारे गए थे। फैक्ट्रियां चलती हैं, हादसे होते है। हम चर्चा करते हैं। आप हमको यह सोचना पड़ेगा, हादसों के पीछे आखिर कौन जिम्मेदार है? इस फैक्ट्री को अवैध रूप से कैसे संचालित किया जा रहा था? इस फैक्ट्री में का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था। एडीएम ने जांच रिपोर्ट में फैक्ट्री को बंद करने की रिपोर्ट दी थी। जब 2 लाइसेंस सस्पेंड थे तो तीसरे लाइसेंस पर फैक्ट्री कैसे चल रही थी? कई विभागों की एनओसी के बाद ऐसी फैक्ट्री संचालित होती है। कमिश्नर ने अपील पर अनुमति कैसे और क्यों दे दी? एक महीने का स्टे होने के बावजूद इतने लंबे समय से फैक्ट्री कैसे चल रही थी? कलेक्टर एसपी को हटा देना समाधान नहीं हैं। आखिर किसका संरक्षण था? जब 2 लाइसेंस सस्पेंड थे तो तीसरे लाइसेंस पर फैक्ट्री कैसे चल रही थी? कई विभागों की एनओसी के बाद ऐसी फैक्ट्री संचालित होती है।

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