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दोनों पार्टियों ने पंजाब का मजाक बना दिया है, लेकिन बीजेपी पंजाब को बर्बाद नहीं होने दे सकती: सुनील जाखड़

पंजाब
पंजाब के पूर्व बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) सरकारों पर पंजाब के मुद्दों को हल करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि आखिर उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा क्यों दिया। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों ने पंजाब का मजाक बना दिया है, लेकिन बीजेपी पंजाब को बर्बाद नहीं होने दे सकती है।

हाल ही में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले सुनील जाखड़ ने बताया कि उन्होंने यह पद इसलिए छोड़ा क्योंकि उन्होंने लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार की जिम्मेदारी खुद पर ली। उन्होंने कहा कि हालांकि पार्टी को 18.3 प्रतिशत वोट शेयर मिला इसके बावजूद एक भी सीट नहीं जीत सकी। जाखड़ ने यह भी स्पष्ट किया कि वह कभी अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में नहीं लौटेंगे।

जाखड़ ने कहा, "राहुल गांधी पार्टी पर कोई नियंत्रण नहीं रखते क्योंकि कांग्रेस कई गुटों में बटी हुई है।" उन्होंने पार्टी के अंदरूनी संघर्षों का हवाला देते हुए यह भी कहा, "कांग्रेस में कौन सा गुट मैं जॉइन करूं?" जाखड़ ने यह भी आरोप लगाया कि पंजाब के कई कांग्रेस नेताओं, जैसे चरणजीत चन्नी और अंबिका सोनी ने पार्टी में गहरे मतभेद पैदा किए। उन्होंने कहा कि उन्हें गहरा आघात तब पहुंचा जब उन्हें बताया गया कि वह मुख्यमंत्री नहीं बन सकते क्योंकि वह हिंदू हैं। इसके बाद उन्हें पार्टी से बिना किसी नोटिस के हटा दिया गया।

जाखड़ ने कहा, "50 साल बाद अगर हाई कमांड मुझसे फोन पर भी बात नहीं कर सकता तो कम से कम यह पूछे कि क्या हो रहा है?" उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्होंने पंजाब को पहचान की राजनीति से बचाने के उद्देश्य से बीजेपी जॉइन की। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि वह इसमें पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए हैं।

पंजाब में क्यों फेल हुई भाजपा
सुनील जाखड़ ने माना कि बीजेपी शायद पंजाब की राजनीतिक संवेदनाओं को पूरी तरह से समझ नहीं पाई। उन्होंने पंजाब की विशेष मानसिकता और पहचान को समझने की सलाह दी है। जाखड़ ने कहा, "पंजाबी अलग तरह से सोचते हैं। हमारी अपनी पहचान है।" उन्होंने केंद्र सरकार और पंजाब सरकार के बीच समन्वय की कमी की आलोचना की। जाखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान बीजेपी के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं, लेकिन अरविंद केजरीवाल के कारण इसमें बाधाएं आ रही हैं।

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