नरेला में श्मशान भूमि पर चला बुलडोजर, जलती चिता पर भी चला पीला पंजा
टीम एक्शन इंडिया
नई दिल्ली: इधर जल रही थी चिता और उधर चला पीला पंजा। जी हां, यह बात आपको सुनने में बड़ी ही अजीब सी लग रही होगी। लेकिन आपको बतादें कि यह मामला नरेला के स्वतंत्र नगर श्मशान घाट का है, जहां पर डीडीए द्वारा पीला पंजा चलाया गया। और हैरान करने वाली बात यह रही कि जलती चिता पर भी प्रशासन के द्वारा पीला पंजा चला दिया गया।
आपको यह भी बतादें कि बाहरी दिल्ली का नरेला इलाके के स्वतंत्र नगर में बना ये श्मशान घाट अब पूरी तरह से तहस-नहस हो चुका है। जिसका इल्जाम डीडीए पर लगा है। हैरानी तो इस बात की है कि हिंदुओं का ठेकेदार बनने वाला कोई भी नेता सामने आकर खड़ा नहीं हुआ जब श्मशान घाट पर पीला पंजा चलाया जा रहा था।
बुलडोजर से तहस नहस हो चुकी ये भूमि किसी व्यक्ति विशेष की नहीं है।
स्थानीय लोगों के भारी विरोध के बावजूद प्रशासन के कानों पर जरा सी भी जूं नहीं रेंगी। लोग चीखते-चिल्लाते और सिर्फ़ बगले झांकते ही रह गये। उधर, प्रशासन का कहना है कि ये डीडीए की जमीन पर अवैध अतिक्रमण था। लिहाजा इसे तोड़ दिया गया। यहाँ हैरानी तो इस बात की है कि घटना के समय कोई भी भाजपा नेता मौके पर नहीं पहुँचा। बताया गया कि इस शमशान घाट को स्थानीय लोगों ने थोड़े-थोड़े पैसे जोड़कर बनवाया था।
पुलिस-प्रशासन का अमानवीय चेहरा तब और सामने आ गया जब भगवान शिव की प्रतिमा को भी तोड़ने का प्रयास किया गया। लाख मन-मुन्नव्वल के बाद जाकर बुलडोजर पर सवार चालक ने अपने पंजे पर ब्रेक लगायी। वहीं एक मृतक की तो अस्थियाँ भी अभी पूरी तरह से नहीं जल पायी थी। उनके ऊपर से भी बुलडोजर ने गुजरने से गुरेज नहीं किया। बताया गया की 75000 लोगों पर ये एक मात्र श्मशान घाट था, जहां लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करते थे। अब लोगों को अंतिम क्रिया के लिए तकरीबन 1.5 किलोमीटर दूर, रेलवे लाइन पार कर कुरैनी श्मशान घाट जाना पड़ेगा।