राष्ट्रीय

‘हमारे रास्ते रोककर खुद का नुकसान करेंगे’ — जयशंकर का कड़ा संदेश, बोले US-Europe होंगे सबसे बड़े लूज़र

नई दिल्ली 
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को दो टूक कहा कि वैसे देश सबसे बड़े लूज़र होंगे, जो सीमा पार प्रोफेशनल्स के फ्लो में बहुत ज़्यादा रुकावटें डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में दूसरे देशों को यह समझाने की ज़रूरत है कि टैलेंट (प्रतिभाओं) का इस्तेमाल आपसी फायदे के लिए ही है। मोबिलिटी पर एक कॉन्क्लेव के इंटरैक्टिव सेशन में उनकी यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सरकार की इमिग्रेशन पॉलिसी पर सख्ती के बीच आई है। ट्रंप प्रशासन ने नई नीति के तहत H-1B वीज़ा पर भारी भरकम फीस लगा दी है और इमिग्रेशन नियमों को कड़ा कर दिया है ताकि विदेशी प्रोफेशनल्स अमेरिका न पहुंच सकें।
 
जयशंकर ने कहा कि सीमाओं के पार पेशेवरों के प्रवाह में बहुत अधिक बाधाएं पैदा करने वाले देशों को “कुल मिलाकर नुकसान” ही होगा। गतिशीलता पर एक सम्‍मेलन में आयोजित संवादात्मक सत्र के दौरान दिए गए उनके बयान ट्रंप प्रशासन की आव्रजन पर सख्ती के अनुरूप अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा पर नया शुल्क लगाने के फैसले की पृष्ठभूमि में आए हैं। जयशंकर ने कहा, “अगर वे प्रतिभा के प्रवाह में बहुत ज्यादा रुकावटें खड़ी करते हैं, तो उन्हें कुल मिलाकर नुकसान होगा। खासकर अगर आप उन्नत विनिर्माण के युग में प्रवेश कर रहे हैं, तो आपको और ज्यादा प्रतिभा की जरूरत होगी।”

वह एच-1बी वीजा कार्यक्रम पर चिंताओं सहित आव्रजन से जुड़े व्यापक मुद्दों पर पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। किसी देश का नाम लिए बगैर जयशंकर ने कहा कि भारत को अन्य देशों को यह समझाने की जरूरत है कि “सीमा पार प्रतिभा का इस्तेमाल हमारे पारस्परिक लाभ के लिए है”। उन्होंने कहा, “अक्सर उद्यमिता और प्रौद्योगिकी के अग्रणी लोग ही गतिशीलता के पक्ष में दलील देते हैं। इसके विपरीत, वे लोग जिनके पास कोई राजनीतिक आधार या संबोधित करने के लिए एक निश्चित मतदाता वर्ग होता है, वे इसका विरोध कर सकते हैं। हालांकि, अंततः वे किसी न किसी प्रकार के समझौते पर पहुंच ही जाएंगे।”

जयशंकर ने कुछ देशों में प्रतिभाओं की गतिशीलता के लिये प्रतिरोध को कुछ कंपनियों द्वारा चीन से अपने विनिर्माण केंद्र स्थानांतरित करने के प्रयासों से भी जोड़ा। एच-1बी वीजा कार्यक्रम के तहत, कंपनियां अमेरिका में काम करने के लिए विशेष कौशल वाले विदेशी कर्मचारियों की भर्ती करती हैं, शुरुआत में यह अवधि तीन साल के लिए होती है, जिसे तीन और वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के अनुसार, हाल के वर्षों में स्वीकृत सभी एच-1बी आवेदनों में से लगभग 71 प्रतिशत आवेदन भारतीयों के थे।

जयशंकर ने कहा, “यदि कई विकसित देशों में नौकरियों पर दबाव है, तो उसका कारण यह नहीं है कि उन क्षेत्रों में लोग बाहर से आए। असल वजह यह है कि उन्होंने अपनी विनिर्माण गतिविधियां बाहर जाने दीं – और आप जानते हैं, कहां।” उन्होंने कहा, “यदि लोगों के लिए यात्रा करना कठिन हो जाता है, तो भी काम रुकने वाला नहीं है। यदि लोग यात्रा नहीं करेंगे, तो काम बाहर जाएगा।”

जयशंकर ने कानूनी गतिशीलता के महत्व पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने कहा, “एक वैश्वीकृत दुनिया में, मुझे लगता है कि जब हम अपने बाहरी संबंधों, खासकर आर्थिक संबंधों की बात करते हैं, तो हम अक्सर व्यापार पर ही ध्यान केंद्रित करते हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।” उन्होंने कहा, “लेकिन हम अक्सर काम और उससे जुड़ी गतिशीलता की उपेक्षा करते हैं। आपको यह समझाने के लिए कि हम किस चीज पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते। पिछले साल, भारत में 135 अरब अमेरिकी डॉलर का धन प्रेषण हुआ। यह अमेरिका को हमारे निर्यात का लगभग दोगुना है।”

इसके साथ ही जयशंकर ने अवैध आवाजाही के प्रति भी आगाह किया और इसके संभावित परिणामों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, “यदि आप मानव तस्करी और इससे जुड़े सभी अपराधों को देखें, तो अक्सर इसमें विभिन्न प्रकार के एजेंडे वाले लोग शामिल होते हैं, जैसे राजनीतिक एजेंडा, अलगाववादी एजेंडा, वे सभी इसके अवैध कारोबार में शामिल हो जाते हैं।”

 

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