आरा में बरमेश्वर मुखिया के पोते की सुरक्षा हटाने पर परिजन नाराज

आरा । एएनएन (Action News Network)
नब्बे के दशक में किसानों और भूस्वामियों की निजी सेना रणवीर सेना का नेतृत्व करते हुए देश और दुनिया मे हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से देने को लेकर चर्चा में आए बरमेश्वर मुखिया की हत्या के आठ साल बाद भी हत्याकांड की जांच में जुटी सीबीआई निर्णायक मोड़ पर नही पहुंच सकी है। रणवीर सेना और फिर राष्ट्रवादी किसान महासंघ के संस्थापक मुखिया जी की हत्या में शामिल राजनैतिक लोगो के संलिप्त होने का आरोप उनके परिजनों ने लगाया है और बार बार जिले के एक पूर्व विधायक की संलिप्तता की जांच की मांग उठाई है बावजूद इसके सीबीआई अब तक बरमेश्वर मुखिया के हत्यारों का खुलासा करने में नाकाम रही है।
इस बीच सीबीआई जांच के दौरान अब बिहार सरकार ने बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड के मुख्य गवाह और उनके पोते कुंदन कुमार को दी गई सुरक्षा हटा ली है। यह सुरक्षा उस समय हटाई गई है जब परिजनों की तरफ से हत्याकांड के आठ साल बीतने पर भी सफेदपोश हत्यारो को सीबीआई के घेरे में नही आने की आवाज उठाई गई है।
अब कुंदन कुमार की सुरक्षा हटा लिए जाने से एकबार फिर सूबे की राजनीति को प्रभावित करने वाले इस परिवार के ऊपर खतरा मंडराने लगा है। बरमेश्वर मुखिया के परिजनों ने सुरक्षा हटाये जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है और कहा है कि परिवार नक्सलियों,एक पूर्व विधायक और एक पूर्व एमएलसी के निशाने पर है और उनके परिवार की जान खतरे में है। मुखिया जी के पोते ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भेजकर सुरक्षा बहाल करने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि अभी केस की सीबीआई जांच चल रही है और मुख्य षड्यंत्रकारी और अपराधी अभी भी कानून की शिकंजे से बाहर हैं,ऐसे में उनके परिवार पर जान माल का खतरा मंडराने लगा है।
बता दें कि रणवीर सेना सुप्रीमो बरमेश्वर मुखिया की हत्या 1 जून 2012 को उनके कतीरा स्थित आवास के बाहर अहले सुबह टहलते समय कर दिया गया था। हत्या के बाद बिहार में आग लग गई थी।आरा के सर्किट हाउस,बीडीओ ब्लॉक सहित कई सरकारी कार्यालय धू धू कर जल उठे थे।स्थिति अनियन्त्रित हो गई थी और इस हत्या के बाद लाखो लोगो की भीड़ राज्य के कोने कोने से आरा की तरफ कूच कर गई थी। बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड की गूंज पूरी दुनिया मे सुनाई पड़ी थी। मुखिया जी की शव यात्रा में आरा से पटना तक आक्रोश और आगजनी की लपटें आसमान को भेद रही थी और इस दौरान तत्कालीन बिहार के पुलिस प्रमुख अभयानंद के साथ आक्रोशित भीड़ ने हाथापाई तक कर डाली थी।
बिहार सरकार तब बिल्कुल बेबस और लाचार थी। अब एकबार फिर बरमेश्वर मुखिया के हत्या के मुख्य गवाह उनके पोते की सुरक्षा हटा कर राज्य सरकार ने नया विवाद खड़ा कर लिया है। बरमेश्वर मुखिया के परिवार के पीछे सवर्णों की बड़ी ताकत के रूप में राज्य का भूमिहार समाज मजबूती से आज भी खड़ा है और उनके परिवार के प्रति पूरी सहानुभूति रखता है।
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