
जीरो ड्रॉप-आउट राज्य बनाने के लिए सीएम ने उठाया बीड़ा
टीम एक्शन इंडिया/चंडीगढ़/ दीपिका शर्मा
हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश में शिक्षा के स्तर को सुधारने एवं गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही अब सरकार ने हरियाणा को जीरो ड्रॉप-आउट राज्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पीपीपी डाटा में दर्ज 6 से 18 वर्ष आयु के बच्चों को ट्रैक करने के निर्देश दिए हैं, ताकि यदि कोई बच्चा किसी सरकारी या निजी स्कूल, गुरुकुल, मदरसे या कदम स्कूल (स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर) इत्यादि में नामांकित नहीं है, तो उसे शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रयास किए जा सकें।
मुख्यमंत्री आज यहां जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों (डीईईओ) के साथ बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। मनोहर लाल ने कहा कि हर बच्चा स्कूली शिक्षा ग्रहण करे, यही सरकार का प्राथमिक उद्देश्य है। बच्चे अच्छे नागरिक बनें और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें। इसके लिए बच्चों और शिक्षक का अनुपात सही होना चाहिए। एक किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित स्कूलों के लिए बच्चों को प्रदान की जाएगी परिवहन सुविधा: मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ हर प्रकार से उनकी चिंता कर रही है, ताकि उनकी नींव मजबूत बन सके। इसलिए बच्चों को स्कूल तक आने-जाने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होनी चाहिए, इसके लिए सरकार ने योजना बनाई है। गांव से 1 किलोमीटर की दूरी से अधिक पर स्थित स्कूलों में आने-जाने के लिए सरकार की ओर से बच्चों को परिवहन की सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके लिए प्रत्येक स्कूल में एक शिक्षक को स्कूल ट्रांसपोर्ट आॅफिसर के रूप में नामित किया जाए, जिसका कार्य ऐसे बच्चों के साथ समन्वय स्थापित करना होगा, जिन्हें परिवहन सुविधा की आवश्यकता है।
इसी प्रकार, ब्लॉक स्तर पर भी एक स्कूल ट्रांसपोर्ट आॅफिसर (एसटीओ) नामित किया जाए, जो ब्लॉक में स्थित स्कूलों के एसटीओ के साथ समन्वय स्थापित कर परिवहन की सुविधा सुनिश्चित करने का कार्य करेगा। अप्रवासी परिवारों के बच्चों का भी बनेगा आधार कार्ड मनोहर लाल ने डीईईओ को निर्देश देते हुए कहा कि एमआईएस पोर्टल पर सभी विद्यार्थियों का डाटा निरंतर अपडेट करें। डीईईओ ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि दूसरे राज्यों से काम की तलाश में यहां आए या ईंट भट्टों इत्यादि व्यवसायों में काम करने वाले परिवारों के लगभग 3 हजार बच्चे ऐसे हैं, जिनका आधार कार्ड नहीं बना हुआ है, इस कारण उनका डाटा एमआईएस पर अपडेट नहीं किया जा सकता। उनके जन्म तिथि का कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है, न ही उनके अभिभावकों के पास दस्तावेज उपलब्ध हैं, जिससे आधार कार्ड बनाया जा सके।