सेहत और स्वास्थ्य

एक हफ्ते से ज्यादा दिन तक ठंड और खांसी: कितनी खतरनाक हो सकती है?

जरा सी ठंड बढ़ी नहीं कि जुकाम पकड़ लेता है। कई बार मौसम बदलने पर या फिर इंफेक्शन की वजह से यह समस्या हो जाती है। लेकिन इसे ज्यादा दिन परेशान ना करने दें, क्योंकि यह खतरनाक बीमारी साबित हो सकती है। ऐसी ही स्थिति से खुद एक डॉक्टर को गुजरना पड़ा जिसके बारे में उन्होंने जानकारी दी।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. दीपक कृष्णमूर्ति ने ट्विटर पर लिखा कि बेंगलुरु में सर्दी खांसी वाले वायरस की लहर काफी गंभीर है। उन्हें खुद रात में ऐसी खांसी हुई जिसका सामना पहले कभी नहीं करना पड़ा। इसे कम करने के लिए नेबुलाइजेशन की मदद लेनी पड़ी। सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट ने आगे लिखा कि इस वायरस के अधिकतर मरीजों को एक्यूट ब्रोंकाइटिस हो रहा है।

इसके कारणों का ये है पता

इस तरह के जुकाम-खांसी के पीछे कई सारे गंभीर कारण हो सकते हैं। जिसमें कोविड 19, कॉमन फ्लू, कोल्ड जैसे रेस्पिरेटरी इंफेक्शन सबसे प्रमुख हैं। दूसरा कारण वायु प्रदूषण और एलर्जी भी हो सकता है। गुरुग्राम स्थित सीके बिरला हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी हेड डॉ. कुलदीप कुमार ने इन कारणों के साथ मौसम बदलने को भी जिम्मेदार माना।

इतने दिन रहते हैं 3 लक्षण

यह बीमारी जुकाम में नाक बहना, खांसी और गले में सूजन के साथ शुरू होती है। यह एक हफ्ते से ज्यादा परेशान करती है और हर दिन खतरनाक रूप लेती जाती है। दवा लेने से भी आराम नहीं मिलता और कुछ मरीजों को महीने भर भी झेलनी पड़ सकती है।
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बोल भी नहीं पाता मरीज

रिपोर्ट के मुताबिक मरीजों ने बताया कि यह खांसी जुकाम इतना खतरनाक होता है कि आप खांसे बिना बोल भी नहीं पाते। यह बीमारी आम फ्लू की तरह शुरू होती है और गले में सूजन व हल्का बुखार होता है। बुखार उतरने के बावजूद खांसी और बदन दर्द तकलीफें बढ़ाता रहता है। इन लक्षणों के दिखने पर आपको डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए।

नेबुलाइजेशन से मिलती है मदद

इस बीमारी में नेबुलाइजेशन तुरंत आराम दे सकती है। यह एक मेडिकल इलाज है जिसमें सांस के द्वारा दवा को सीधा फेफड़ों तक पहुंचाया जाता है। यह मशीन लिक्विड दवा को हल्की भाप या छोटी बूंदों में बदल देती है ताकि आराम से इनहेल किया जा सके। सीओपीडी, अस्थमा, सिस्टिक फाइब्रोसिस के मरीजों को खांसी, सांस फूलना जैसे लक्षणों से तुरंत आराम देने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।

नाक और मुंह को ढककर रखें
मास्क पहनें
हाथों को अच्छी तरह साफ रखें
मरीज से सीधा संपर्क करने से बचें
बीमार होने पर घर पर रहें
बैलेंस डाइट लें

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