दिल्ली

ठंड बनी जानलेवा, ब्रेन और हार्ट अटैक मरीजों की बढ़ी संख्या

कानपुर। टीम एक्शन इंडिया

उत्तर प्रदेश में कानपुर समेत कई जिलों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। प्रदेश में हाड़ कंपा देनी वाली ठंड का कहर जारी है। मौसम विभाग के मुताबिक उप्र में पारा 2°C रिकॉर्ड किया गया। बीते चौबीस घंटे के दौरान हार्ट एवं ब्रेन अटैक से बीस लोगों की जान चली गई।

बर्फीली हवाओं के चलने से गलन भरी ठंड धूप पर भारी पड़ रही है। शुक्रवार से शनिवार सुबह तक कानपुर,अयोध्या में पारा दो डिग्री,मथुरा में तीन डिग्री,झांसी और सुल्तानपुर में 3.9 डिग्री,मुरादाबाद में 4.6°C, इटावा 4.6°C, रिकॉर्ड किया गया। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार अभी ठंड एवं कोहरा भी घना होगा। शुक्रवार की बात करें तो उप्र के अधिकतर जिलों में कहीं हल्की तो कहीं तेज धूप निकली। सबसे तेज धूप सोनभद्र के चुर्क में निकली, जहां अधिकतम पारा 19.5°C तक पहुंच गया।

शुक्रवार को प्रदेश में दिन के समय सबसे कड़ाके की ठंड कानपुर‚ उरई‚ हमीरपुर‚ बरेली और मेरठ में पड़ी, जबकि गुरुवार, शुक्रवार की रात को सबसे कड़ाके की ठंड कानपुर‚ सुलतानपुर‚ अयोध्या और झांसी में पड़ी। प्रदेश के सभी जिलों में रात को घना कोहरा भी पड़ा।लखनऊ के आलमबाग, पारा, आशियाना में तड़के घना कोहरा रहा। गोमती नगर क्षेत्र में कोहरा तो नहीं था, लेकिन बर्फीली हवाएं कंपकपा रही थीं।

कानपुर में लगातार बढ़ रहा मौतों का ग्राफ

कानपुर में पारा लगातार 5 डिग्री से कम बना है। इसके चलते कानपुर में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ गए हैं। छह दिनों में हार्ट अटैक से 83 मौतें हुई जबकि ब्रेन अटैक से 17 यानी कुल 100 मौतें हो चुकी हैं। शुक्रवार को कार्डियोलॉजी (LPS इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज ) में इमरजेंसी में 78 और ओपीडी में 547 हार्ट पेशेंट पहुंचे। वहीं बीते 24 घंटे में कार्डियोलॉजी में 47 नए पेशेंट एडमिट किए गए।

एलपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. विनय कृष्णा ने बताया कि नॉर्मल दिनों में अगर हार्ट की नसों में 30% ब्लॉकेज है तो ठंड में नसें सिकुड़ने की वजह से वही ब्लॉकेज 60% तक हो जाता है। इस कंडीशन में पेशेंट का एंजाइन और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, ऐसे में हार्ट अटैक के चांसेज दोगुना हो जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक के जो रोगी आ रहे हैं, उनका ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो गया था। इसके साथ ही जो डायबिटीज, गुर्दा, लिवर का पुराना रोगी हैं, उनके लिए खतरा अधिक है।

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