अप्रैल 2020 से शुरू होगा निर्माण कार्य

राम जन्मभूमि पर फैसला आने से जिलानी की बंद हो रही है दुकान: आचार्य सत्येंद्र दास
इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि नया ट्रस्ट बनाया जाए या फिर पुराने रामजन्मभूमि न्यास में ही नए सदस्य शामिल कर लिए जाएं।
अयोध्या। एएनएन (Action News Network)
एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है- इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि नया ट्रस्ट बनाया जाए या फिर पुराने रामजन्मभूमि न्यास में ही नए सदस्य शामिल कर लिए जाएं। इन सूत्रों ने बताया है कि विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल भी राम मंदिर ट्रस्ट का हिस्सा हो सकते हैं, हालांकि सदस्यों को लेकर आखिरी फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय ही करेगा। सबसे बड़ा विवाद जो प्रस्तावित ट्रस्ट के सामने आने की संभावना है, वो मंदिर निर्माण के लिए कई संगठनों, ट्रस्टों और धार्मिक समूहों द्वारा फंड जमा करने से संबंधित है।
मुख्य मुद्दा यह होगा कि क्या ये फंड जमाकर्ता नए ट्रस्ट को पैसा सौंपने के लिए तैयार होंगे और वे पिछले 27 सालों के दौरान जमा किए गए करोड़ों रुपये के लिए जवाबदेह होंगे। एएनआई के मुताबिक, वीएचपी का मानना है कि राम मंदिर का निर्माण सरकारी पैसे के बजाए जनता के चंदे से होना चाहिए। वहीं न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कानून, गृह मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने और प्रस्तावित ट्रस्ट के तौर-तरीकों पर जल्द से जल्द काम करने को कह चुके हैं। इस बीच ट्रस्ट में जगह पाने को लेकर संतों और कई हिंदू संगठनों के बीच होड़ शुरू हो गई है।
अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो चुका है। अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय दिशानिर्देशों के तहत सरकार को वे सब औपचारिकताएं पूरी करनी हैं जो मंदिर निर्माण में सहायक साबित होंगी।
नौ नवंबर को बहुप्रतीक्षित और देश के सबसे बड़े सर्वसम्मत फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट का गठन करे। आगे यही ट्रस्ट मंदिर निर्माण से जुड़ी हर गतिविधियों, प्रक्रियाओं का निर्धारण करेगा।
अयोध्या जमीन अधिग्रहण एक्ट 1993 के तहत ट्रस्ट का गठन होगा। मंदिर के लिए यह आंतरिक और बाहरी अहाते की जमीन को कब्जे में लेगा। इसी कानून के तहत केंद्र सरकार ने विवादित स्थल के इर्द-गिर्द की 67.7 एकड़ जमीन अधिगृहीत की थी। कुछ शर्तो के साथ इसी कानून से यह जमीन ट्रस्ट को सौंपी जा सकेगी। उस स्थिति में केंद्र सरकार के अधिकार बनने वाले ट्रस्ट में समाहित हो जाएंगे।
कुछ रिपोर्टो में ये बात सामने आ रही है कि राम मंदिर ट्रस्ट का रूप-स्वरूप देश के अन्य मंदिरों के ट्रस्ट जैसा होगा। इनमें सोमनाथ मंदिर, अमरनाथ श्राइन बोर्ड या माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड का उल्लेख किया जा रहा है। एएनआइ की एक रिपोर्ट के मुताबिक राम मंदिर ट्रस्ट का मॉडल सोमनाथ मंदिर के अनुरूप हो सकता है। इस ट्रस्ट के सात सदस्यों में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बतौर सदस्य शामिल हैं।
कौन कौन है सदस्य
बोर्ड की सदस्यता आजीवन है। परमार 1975 में इसके सदस्य बने जबकि अमित शाह जनवरी, 2016 में भावनगर से कांग्रेस सांसद प्रसन्नवदन मेहता की मौत के बाद सदस्य बने। केंद्र और राज्य सरकारें प्रत्येक चार-चार सदस्यों को मनोनीत कर सकती है। आमतौर पर ट्रस्टी मंडल संभावित उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करता और रिक्तियां इसी सूची से भरी जाती हैं। एक साल में चार बार ट्रस्टी बोर्ड की मीटिंग होती है।
2018 में ट्रस्ट को 42 करोड़ रुपये चढ़ाने, दान और किराए के रूप में मिले। ट्रस्ट के पास कई गेस्ट हाउस भी हैं। 2017 के दौरान इस मद में ट्रस्ट को 39 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। पिछले दो साल के दौरान गुजरात सरकार ने मंदिर परिसर में सुविधाओं के विकास में 31.47 करोड़ रुपये खर्च किए।
ऑल इंडिया पर्सनल मुस्लिम पर्सनल लॉ की रविवार को लखनऊ में हो रही बैठक पर राम जन्मभूमि के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि हमारे अयोध्या के मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने रिव्यू दाखिल करने से साफ इंकार किया है।
उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए इस अहम फैसले पर पुनर्विचार के लखनऊ में ऑल इंडिया पर्सनल मुस्लिम पर्सनल लॉ की बैठक चल रही है। उनका मानना है कि पुनर्विचार करने की याचिका दाखिल करने का कोई भी औचित्य नहीं है। जफरयाब जिलानी की दुकान बंद हो रही है, निश्चित है वह इसको फिर चलाएंगे। जिन लोगों को इस मामले के निस्तारण से हानि हो रही है वह प्रयास कर रहे हैं। सामान्य मुसलमान फैसले से खुश है। इनके चाहने से कुछ नहीं होगा जो आदेश हो चुका है, वही आदेश होगा।
http://actionindialive.com/we-accepted-the-verdict-we-should-not-go-further-iqbal-ansari/?fbclid=IwAR3FshcsfC3be9LnkiJ1ejc7oVMt5JMK_MH0NrAirz4hNZY3suAwvNBvdkk
हनुमानगढ़ी निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत हिन्दू पक्ष कार धर्मदास ने कहा कि कानून के हिसाब से सभी व्यक्ति स्वतंत्र हैं। हम चाहते हैं कि सभी लोग राम का समर्थन करें और राम के मंदिर के प्रति आस्था व्यक्त करें। इकबाल अंसारी अयोध्या के मुख्य पक्षकार हैं, और वह कहते हैं कि हमें रिव्यू दाखिल नहीं करना है तो उनका स्वागत है। दोबारा याचिका दाखिल करने से कुछ नहीं होना है। कोर्ट का आदेश आ गया है, उसका सबको आदर करना चाहिए।
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