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मृत्यु जीवन का अंत नहीं है, बल्कि एक नई यात्रा की शुरूआत है : मुनि
मृत्यु, मानव जीवन की एक स्थायी सच्चाई है, यह जन्म के साथ ही जुड़ी हुई है
टीम एक्शन इंडिया
सोनीपत: नेपाल केसरी, राष्ट्र संत, मानव मिलन के संस्थापक डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज ने कहा कि मृत्यु, मानव जीवन की एक स्थायी सच्चाई है। यह जन्म के साथ ही जुड़ी हुई है, और यही जीवन की अस्थिरता को प्रमाणित करती है। मृत्यु केवल जीवन का अंत नहीं, बल्कि जीवन की एक अनिवार्य और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज सेक्टर 15 स्थित जैन स्थानक में उपस्थित भक्त जनों को संबोधित कर रहे थे।
डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज ने कहा कि मृत्यु का विचार व्यक्ति के लिए एक चुनौतीपूर्ण और कठिन विषय हो सकता है। यह जीवन की समाप्ति की संकेतक होती है, और यह मनुष्य को अस्तित्व की अस्थिरता की याद दिलाती है। जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, मृत्यु का विचार हमारे मन में गहराई से स्थान बना लेता है।
सभी जीवित प्राणी, चाहे वह मानव हो या अन्य जीव, अंतत: मृत्यु का सामना करते हैं। यह जीवन का अनिवार्य हिस्सा है, और इसके बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं होता। इसी प्रकार, मृत्यु जीवन का एक अनिवार्य और अनिवार्य भाग है। उन्होने कहा जैन धर्म में मृत्यु को आत्मा के शरीर से अलग होने की प्रक्रिया के रूप में समझा जाता है। जैन धर्म के अनुसार, आत्मा का पुनर्जन्म कर्मों के आधार पर होता है।
मोक्ष प्राप्ति के लिए, व्यक्ति को अपने कर्मों से मुक्त होना होता है और आत्मा को शुद्ध करना होता है। अच्छे कर्म और पुण्य अर्जन करना भी मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का एक तरीका है। जीवन में अच्छे कर्म करने से, व्यक्ति अपने अंतिम जीवनकाल में अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकता है और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
उन्होने कहा मृत्यु जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है और इसे समझने और स्वीकारने की प्रक्रिया आत्मा के विकास और शांति के लिए आवश्यक है। विभिन्न धर्मों और दार्शनिक दृष्टिकोणों से यह स्पष्ट होता है कि मृत्यु केवल जीवन का अंत नहीं है, बल्कि एक नई यात्रा की शुरूआत है। मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के लिए, व्यक्ति को आत्मा की सच्चाई को समझना होगा।
और मोक्ष की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। यह साधना और ध्यान के माध्यम से संभव हो सकता है, और इस यात्रा में ज्ञान और कर्म की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।